लोजपा से मिला घाव क्या भूल पायेगा जदयू, भाजपा के संबंधों पर कितना पड़ेगा असर
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पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार एनडीए को भले पूर्ण बहुमत मिल गया है पर गठबंधन के दो प्रमुख दलों में खटास जरूर उत्पन्न हो गयी है।हालांकि अभी यह खटास सामने नहीं आयी है पर माना जा रहा है कि समय बीतते यह सामने आयेगी ही। इस बीच, चिराग ने यह कहकर कि मैं […]
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार एनडीए को भले पूर्ण बहुमत मिल गया है पर गठबंधन के दो प्रमुख दलों में खटास जरूर उत्पन्न हो गयी है।हालांकि अभी यह खटास सामने नहीं आयी है पर माना जा रहा है कि समय बीतते यह सामने आयेगी ही। इस बीच, चिराग ने यह कहकर कि मैं अपने लक्ष्य में सफल रहा, जदयू के जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। इस चुनाव में जदयू करीब तीन दर्जन सीटें लोजपा के कारण हार गया। जदयू नेता परिणाम आने के बाद ही इसके लिए लोजपा को जिम्मेदार ठहराने लगे हैं। जदयू के बड़े नेता केसी त्यागी मीडिया के सामने आकर लगातार लोजपा की आलोचना कर रहे हैं। अभी जदयू नेता लोजपा के पीछे की शक्तियों की चर्चा नहीं कर रहे हैं लेकिन समय बीतने के साथ इसकी भी चर्चा होने लगे तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।
बिहार में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने तक जदयू और लोजपा की खटास सामने आ चुकी थी। लोजपा प्रमुख चिराग पासवान सहित उनकी पार्टी के तमाम नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक पर व्यक्तिगत हमले शुरू कर दिये थे तो जवाब में जदयू भी हमलावर था।
चुनाव की तारीखों का एलान के बाद यह स्पष्ट हो चुका था कि जदयू और लोजपा की राहें जुदा हो चुकीं हैं। हालांकि इस बात की उम्मीद अब भी बाकी थी कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व लोजपा और जदयू में समझौता कराने में सफल होगा पर ऐसा कुछ हुआ नहीं।
कुछ जानकारों का मानना है कि लोजपा के तेवर कड़े होने के पीछे भाजपा है। भाजपा की शह पर लोजपा नेताओं ने यहां तक कि चिराग ने नीतीश के खिलाफ बयान दिये। चुनावी रैलियों में चिराग बार-बार सात निश्चय में घोटाले का आरोप लगाकर नीतीश को जेल भेजने की बात करते रहे। लोजपा ने उन सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे जहां जदयू मैदान में दिखा।
हालांकि एक रणनीति के तहत लोजपा ने राघोपुर जैसी कुछ उन सीटों पर भी उम्मीदवार दिये जहां भाजपा का राजद से सीधा मुकाबला था। इसके अलावा लोजपा ने भाजपा के बागी राजेंद्र सिंह, रामेश्वर चौरसिया और उषा विद्यार्थी जैसे दर्जनों नेताओं को भी टिकट दिया। इस चुनाव में लोजपा का लक्ष्य खुद जीतना कम और जदयू को हराना अधिक था।
लोजपा अपने इस लक्ष्य में सफल रही और बिहार एनडीए में जदयू को बड़े भाई से छोटा भाई बना दिया। बड़ा से छोटा भाई बनने की टीस जदयू भूल जाये ये संभव नहीं है और इसका राजनीतिक खामियाजा आने वाले दिनों में लोजपा को उठाना पड़ेगा।
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