
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने संकटग्रस्त लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) के डीबीएस बैंक इंडिया लि. में विलय को मंजूरी दे दी है। सरकार का कहना है कि इससे एलवीबी बैंक के 20 लाख जमाकर्ताओं के धन और चार हजार कर्मचारियों की नौकरियों दोनों पर आया संकट टल जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के माध्यम से आए उक्त आशय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई। केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि लक्ष्मी विलास बैंक के डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड में विलय से सबकी सुरक्षा सुनिश्चित होगी। इससे बैंक के 20 लाख जमाकर्ताओं के धन और चार हजार कर्मचारियों की नौकरियों दोनों पर आया संकट टल जाएगा।
जावड़ेकर ने कहा कि पूरे घटनाक्रम के बाद भारतीय रिजर्व बैंक को ऐसी स्थिति में लाने वालों को सजा दिलाने को भी कहा गया है। ऐसे कुछ घटनाएं हैं जहां कुछ लोग बैंक शुरु करते हैं और उन्हें डूबने की कगार पर ले आते हैं। उन लोगों को सजा होनी चाहिए।
केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि रिजर्व बैंक को समय रहते बैंकों में हो रही गड़बड़ियों का भी पता लगाने को कहा गया है। इससे बैंकिंग की स्थिति में सुधार होगा। सरकार का आज का फैसला जमाकर्ताओं और जनता के हितों के साथ-साथ वित्तीय प्रणाली की रक्षा करते हुए एक स्वच्छ बैंकिंग प्रणाली के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने 17 नवम्बर को दक्षिण भारत तक सीमित लक्ष्मी विलास बैंक को एक महीने के मोरेटोरियम पर डाल दिया था। आरबीआई ने टी.एन. मनोहरन को बैंक के प्रशासक के तौर पर नियुक्त करने के साथ एक महीने के लिए बैंक से जमाकर्ताओं की निकासी को 25 हजार रुपये तक सीमित कर दिया था। निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विलास बैंक की कुल 563 शाखा, एक हजार एटीएम और करीब 20 लाख हैं।
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