
भोपाल । राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया 11 दिन बाद एक फिर सोमवार को दिल्ली से भोपाल पहुंच गए हैं । यहां उनकी दोपहर करीब 45 मिनट तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ मीटिंग होने जा रही है, जिसे लेकर यह स्पष्ट हो गया है कि अब इस मुलाकात के बाद मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर […]
भोपाल । राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया 11 दिन बाद एक फिर सोमवार को दिल्ली से भोपाल पहुंच गए हैं । यहां उनकी दोपहर करीब 45 मिनट तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ मीटिंग होने जा रही है, जिसे लेकर यह स्पष्ट हो गया है कि अब इस मुलाकात के बाद मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है और किसी भी वक्त यहां पर मंत्री मण्डल विस्तार हो सकता है।
इस उपचुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थित 2 मंत्री एवं 01 अन्य कुल तीन मंत्रीगण हार गए थे, अब इन्हें फिर से निगम मंडलों में जगह देते हुए मंत्री का दर्जा देने की बात सामने आई है। इसमें दो मंत्री इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया हैं, वहीं सिंधिया खेमे से बाहर एदल सिंह कंषाना को भी मंत्री का दर्जा देने की कोशिश शिवराज सरकार की है ।
हालांकि सोमवार को भोपाल एयरपोर्ट से बाहर निकलते हुए सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मीडिया के बीच स्पष्ट कहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात के दौरान मंत्रिमंडल पर चर्चा नहीं होगी, यह सीएम का विशेष अधिकार है कि वह किसे मंत्री बनाएं अथवा नहीं ।
सीएम शिवराज के साथ बैठक पर सिंधिया यह भी बोले हैं कि विकास के मुद्दों के साथ प्रदेश के अहम मुद्दों पर मंथन करेंगे, इसके अलावा कोई अन्य विषय बातचीत का नहीं है। लेकिन इसके बाद भी भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सिंधिया आज अपने दो पूर्व साथियों को मंत्री दर्जा दिलाने के साथ ही कई अन्य प्रमुख कार्यकर्ताओं को भी सरकार में जगह दिलाने पर चर्चा करने जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले सांसद सिंधिया 19 नवम्बर को भोपाल आए थे। तब उपचुनावों का रिजल्ट आए आठ दिन ही बीते थे। उपचुनावों में 28 में से 19 सीटें भाजपा ने जीती हैं, जिसका श्रेय राजनीतिक स्तर पर ज्योतिरादित्य की कांग्रेस से हुई बगावत को दिया जाता है। दरअसल, मध्य प्रदेश में वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में जनता ने भाजपा के खिलाफ जनादेश दिया था, लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के 22 समर्थकों ने इसी साल मार्च में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर और कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। इससे कमल नाथ सरकार अल्पमत में आ गई और उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और अब मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार स्पष्ट बहुमत वाली हो गई है।
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