केंद्रीय मंत्री निशंक ने ‘मानवता के प्रणेता : महर्षि अरविंद’ की पहली प्रति राष्ट्रपति को भेंट

केंद्रीय मंत्री निशंक ने ‘मानवता के प्रणेता : महर्षि अरविंद’ की पहली प्रति राष्ट्रपति को भेंट

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नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शनिवार को अपनी पुस्तक ‘मानवता के प्रणेता : महर्षि अरविंद’  की पहली प्रति राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेंट की।   निशंक ने राष्ट्रपति भवन में कोविंद से मुलाकात के बाद कहा, भारतीय सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक नवजागरण के अग्रदूत महर्षि अरविंद की पुण्यतिथि (5 दिसम्बर) पर मेरी यह पुस्तक उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक छोटा […]

नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शनिवार को अपनी पुस्तक ‘मानवता के प्रणेता : महर्षि अरविंद’  की पहली प्रति राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेंट की।  

निशंक ने राष्ट्रपति भवन में कोविंद से मुलाकात के बाद कहा, भारतीय सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक नवजागरण के अग्रदूत महर्षि अरविंद की पुण्यतिथि (5 दिसम्बर) पर मेरी यह पुस्तक उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक छोटा सा प्रयास है। उन्होंने कहा युवाओं को केंद्र में रखकर लिखी गई इस पुस्तक में श्री अरविंद के दर्शन और चिंतन को सरल भाषा में व्यक्त किया है। उन्होंने कहा, इस पुस्तक से उन्हें रॉयल्टी के रूप में जो भी धनराशि प्राप्त होगी उसे वह श्री अरविंद सोसाइटी के स्वास्थ्य एवं शिक्षा प्रकल्प को देंगे।

उन्होंने कहा, श्री अरविंद भारतीय संस्कृति, भारतीय मूल्यों, भारतीय राष्ट्रवाद एवं भारतीय धर्म-दर्शन को पूर्णतः समर्पित व्यक्तित्व थे। इस पुस्तक के माध्यम से मैंने उनके दर्शन एवं चिंतन को अत्यंत सरल भाषा में देश एवं विश्व की युवा पीढ़ी को अवगत करवाना चाहा है। मुझे विश्वास है कि देश को ‘ज्ञान आधारित महाशक्ति’ बनाने के लिए श्री अरविंद के विचार उत्प्रेरक की भूमिका निभाएंगे।

उल्लेखनीय है कि रमेश पोखरियाल निशंक मौलिक रूप से साहित्यिक विधा के व्यक्ति हैं। अब तक हिन्दी साहित्य की तमाम विधाओं कविता, उपन्यास, खण्ड काव्य, लघु कहानी संस्कृतिक, पर्यटन, यात्रा वृतांत, बाल कहानी और व्यक्तित्व विकास सहित उनकी कुल पांच दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

निशंक की प्रथम रचना कविता संग्रह ‘समर्पण’ का प्रकाशन 1983 में हुआ था। उनकी प्रमुख कृतियों में सकारात्मक सोच स्वामी विवेकानंद, परीक्षा लेती जिंदगी, शिखरों के संघर्ष, चॉकलेट की वैश्विक राजधानी बेल्जियम, 21 श्रेष्ठ कहानियां, लाइफ ट्रेल्स और द डार्कनेस इज वेनिशिंग शामिल हैं। ‘‘हिमालय का महाकुम्भ- नंदा राज जात’’ पुस्तक के लिए उन्हें वर्ष 2008-09 का राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार दिया गया था।

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