डॉ संजीव शर्मा का एमजीसीयुबी के कुलपति पद पर नियुक्ति की वैधता को लेकर उच्च न्यायलय में चुनौती
सागर सूरज
मोतिहारी। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के कुलपति का पद अपने स्थापना काल से ही विवादों में रहा है।
वर्तमान कुलपति डॉ संजीव शर्मा की नियुक्ति तथा उनके द्वारा किये गए कथित अवैध कार्यों को चुनौती देने वाली याचिका उच्च न्यायालय पटना में दर्ज कराई गई है। हालांकि श्री शर्मा का कार्यकाल भी अगले महीने ही ख़त्म होने वाला है।
पटना उच्च न्यायालय में डॉक्टर संजीव शर्मा की कुलपति पद पर हुई नियुक्ति को जनहित याचिका दायर करके चुनौती दी गई है, जिसकी सुनवाई हेतु इसी सप्ताह तिथि निर्धारित की गयी है।
दायर केश संख्या सीडब्लूजेसी 10558/2020 की याचिका में आरोप लगाया गया है कि मेरठ विश्विद्यालय ने एमएचआरडी को गुमराह करके मंत्रालय द्वारा संजीव शर्मा की कुलपति पद हेतु मांगे गए विजिलेंस जांच की तथ्य को छिपाकर गलत तरीके से विजिलेंस क्लीयरेंस भेजा गया था। मुक़दमे में बताया गया कि संजीव शर्मा पर पूर्व से चल रहे तमाम केस जैसे महिला उत्पीड़न और धोखाधड़ी के केस की भी जानकारी मंत्रालय को नहीं दी गयी। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्विद्यालय स्क्रीनिंग कमिटी, चयन समिति, चौधरी चरण सिंह विश्विद्यालय मेरठ के कुलपति और कुलसचिव तथा कुलपति संजीव शर्मा और महात्मा गांधी केंद्रीय विश्विद्यालय के कुलसचिव को इसमें प्रतिवादी बनाया गया है।
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इस याचिका में ये भी उल्लेख किया गया है कि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पदमश्री डॉ महेश शर्मा ने संजीव शर्मा की कुलपति की अवैध नियुक्ति और कुलपति द्वारा किये जा रहे अनियमितता की शिकायत विश्वविद्यालय के विजिटर यानी की भारत के महामहिम राष्ट्रपति को मई 2020 में भेजे थे और राष्ट्रपति ने मई महीने में हीं शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार को इसपे करवाई करने का आदेश दिया था। साथ हीं विश्वविद्यालय के कार्य परिषद के सदस्यों ने भी श्री शर्मा के कार्यकाल के दौरान कई क्रियाकलापों पर आपत्ति दर्ज कराई थी तथा इसकी लिखित शिकायत शिक्षा मंत्री को भेजी थी मगर इन सभी शिकायतों पर शिक्षा मंत्रालय द्वारा कोई करवाई नहीं की गई।
याचिका में संजीव शर्मा पर मेरठ मेडिकल थाने में चल रहे अन्य मुकदमे का भी जिक्र किया गया है तथा कुलपति के विश्वविद्यालय ने शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार को विजिलेंस क्लेरेंस में इसे नहीं दर्शाया है। मुक़दमे में कुलपति श्री शर्मा के नियुक्ति को रद्द करने की याचना की गयी है एवं अनियमितताओं की जाँच केन्द्रीय अनुसन्धान केंद्र से करवाने की मांग की गयी।
याचिका करता डॉ आशुतोष मिश्रा ने पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता मृत्युंजय कुमार के माध्यम से पटना उच्च न्यायालय में यह याचिका दर्ज कराई ।
कुलपति डॉ शर्मा का मोबाइल फोन बार-बार प्रयास के बाद भी रिसीव नही हुआ वही कुलपति के निजी सचिव कविता जोशी ने कहा कुलपति से बात नहीं हो सकती।
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