कांशीराम जयंती पर बोलीं मायावती  : उप्र में अकेले लड़ेंगे विधानसभा चुनाव, गठबंधन का कड़वा अनुभव

कांशीराम जयंती पर बोलीं मायावती : उप्र में अकेले लड़ेंगे विधानसभा चुनाव, गठबंधन का कड़वा अनुभव

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दल भी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। समाजवादी पार्टी के बाद अब बहुजन समाज पार्टी ने भी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में किसी भी दल से गठबंधन नहीं करने की बात कही हैं। पार्टी सुुप्रीमो मायावती ने सोमवार को कहा कि हम अपने बलबूते पर […]
लखन उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दल भी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। समाजवादी पार्टी के बाद अब बहुजन समाज पार्टी ने भी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में किसी भी दल से गठबंधन नहीं करने की बात कही हैं। पार्टी सुुप्रीमो मायावती ने सोमवार को कहा कि हम अपने बलबूते पर चुनाव लड़ेंगे।
मायावती यहां पार्टी संस्थापक कांशीराम की 87वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद मीडिया को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि हम चुनाव को लेकर अंदर ही अंदर काम कर रहे हैं। हम किसी से ज्यादा रणनीति का खुलासा नहीं करते। बसपा प्रदेश की सभी 403 विधानसभा सीटों पर पूरे दम के साथ चुनाव लड़ेगी और अच्छे परिणाम देगी।
मायावती ने कहा कि हमारी पार्टी के नेता, कार्यकर्ता और हमारा वोटर बेहद अनुशासित है। देश की अन्य पार्टियों के साथ ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी दल के साथ भी गठबंधन में हमारा वोट तो उसे ट्रांसफर हो जाता है, जबकि दूसरी पार्टी का वोट बसपा को नहीं मिल पाता है। यह बेहद ही खराब तथा कड़वा अनुभव है। इसलिए हमने गठबंधन नहीं करने का निर्णय किया है। 
उन्होंने कहा कि देश के कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं। हमारी पार्टी केरल, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में भी चुनाव अकेले अपने बलबूते पर लड़ रही है। हमारी पार्टी इन चार राज्यों में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
मायावती ने अपने समर्थकों से कहा कि विरोधी दलों के साम, दाम, दंड और भेद के हथकंडे से सावधान रहें और पार्टी को चुनाव में अच्छी सफलता दिलाकर बसपा मूवमेंट को सफल बनाएं। यही पार्टी संस्थापक कांशीराम को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
बसपा अध्यक्ष ने केन्द्र सरकार से कृषि से जुड़े तीनों कानून वापस लेने की मांग एक बार फिर दोहराई। उन्होंने कहा कि जब देश के किसान केन्द्र सरकार के कृषि कानूनों से सहमत नहीं हैं तो केन्द्र सरकार को कानूनों को वापस लेना चाहिए। जिन किसानों की इस आन्दोलन में मृत्यु हुई है, उनके परिवारों को केन्द्र और राज्य सरकारों को उचित आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देनी चाहिए। 
बसपा राज में चीनी मिलों के बिकने के प्रश्न पर मायावती ने कहा कि किस संस्था के साथ क्या किया जाना है, यह निर्णय सत्ता में रहने वाली सरकार करती है। चीनी मिलों को बेचने का फैसला कैबिनेट ने किया था। यह सरकार का सामूहिक फैसला था, यह किसी एक मंत्री की जिम्मेदारी नहीं। यह मंत्रालय भी दूसरे मंत्री के पास था।
मायावती ने दावा किया कि बसपा ने अपने काम को लगातार आगे बढ़ाने के लिए समाज को अपना सब कुछ दिया है। जिससे कि दलितों, शोषितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों, मुस्लिमों और अन्य धाॢमक अल्पसंख्यकों का सम्मान हो सके। मायावती ने कहा कि बसपा उनको मजबूत करने में लगी है। पार्टी का हर कार्यकर्ता इस काम में बड़ी तथा कड़ी मेहनत कर रहा है।

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