सरहद-ए-हिंद: विकास से महरूम, बुनियादी सुविधाओं के लिए पड़ोसी मुल्क पर निर्भर, भारत का कटहरिया टोला

सरहद-ए-हिंद: विकास से महरूम, बुनियादी सुविधाओं के लिए पड़ोसी मुल्क पर निर्भर, भारत का कटहरिया टोला

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 वीएस सागर  आदापुर। कटहरिया टोला(KATAHARIYA TOLA), नेपाल(NEPAL) से जुड़े सरहद-ए-हिंद(Sarhad-e-Hind) की सरजमीं पर स्थित एक ऐसा भारतीय गाँव(INDIAN VILLEGE) है जहाँ ग्रामीणों को अपने ही देश के प्रखंड, जिला मुख्यालयों में जाने के लिए इंडो-नेपाल(INDO-NEPAL) सीमा या नो-मेन्स लैंड(No-mens land) से होकर गुजरना पड़ता है, कई बार तो नेपाल पुलिस(NEPAL POLICE) की दंश भी झेलनी […]

 वीएस सागर

 आदापुर। कटहरिया टोला(KATAHARIYA TOLA), नेपाल(NEPAL) से जुड़े सरहद-ए-हिंद(Sarhad-e-Hind)
की सरजमीं पर स्थित एक ऐसा भारतीय गाँव(INDIAN VILLEGE) है जहाँ ग्रामीणों को अपने ही देश के प्रखंड, जिला मुख्यालयों में जाने के लिए इंडो-नेपाल(INDO-NEPAL) सीमा या नो-मेन्स लैंड(No-mens land) से होकर गुजरना पड़ता है, कई बार तो नेपाल पुलिस(NEPAL POLICE) की दंश भी झेलनी पड़ती है। प्रखंड क्षेत्र के अंतगर्त औरैया पंचायत(Auraiya Panchayat) स्थित लालाछपरा गांव(LALACHHAPRA VILLEGE) का कटहरिया टोला जो आज भी विकास से कोसों दूर है। आज़ादी के बाद इस सीमाई क्षेत्र में कई जनप्रतिनिधि, विधायक व अधिकारी आये और गए, परन्तु तक़रीबन 500 की जनसँख्या(POPULATION) वाले इस टोले की हालत जस की तस है, बिडम्बना ये है कि आज भी ये गांव मुख्यपथ(Village main road) से नहीं जुड़ा है।
इस गांव में जाने का जो रास्ता है वो नेपाल और भारत सीमा के नो मैन्स लैंड में पड़ता है लेकिन ये गांव भारतीय सीमा में पड़ती है। यहां के लोगों को आए दिन बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ता है। इन लोगों द्वारा जब भी खेत मे उगाए गए अनाज और सब्जियों को कहीं बेचने के लिए ले जाया जाता है या खेतो के लिए उर्वरक लेकर जाया जाता है तो नेपाल पुलिस इन्हें पकड़ लेती है क्योकि ये जिस सड़क का उपयोग करते है वो नो मैन्स लैंड में पड़ती है। घर बनाने के लिए ईंट, पत्थर, बालू या सीमेंट कड़ी मशक्कत के बाद गाँव पहुंच पाता है। शादी-विवाह में दूल्हा हो या दुल्हन, घराती हो या बाराती बड़ी मुश्किल से गाँव मे पहुंच पाते है। इस गांव में कोई सड़क ही नही है, और एक सड़क भी है तो वो भारत-नेपाल सीमा(Indo-Nepal border) के नो मैन्स लैंड जोन में है। 71 वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल (बेलदरवा मठ)(BELDARWA MATH) के सहायक सेनानायक अंसल श्रीवास्तव द्वारा बुधवार को सीमावर्ती गांव लालछप्परा में ग्रामीण स्तरीय बैठक की गयी, जहां कटहरिया गांव के अधिकांश ग्रामीणों ने रास्ते की समस्या और आए दिन हो रही परेशानियों से सहायक सेनानायक को अवगत कराया। तब सेनानायक अंसल श्रीवास्तव द्वारा तत्क्षण समस्या के निदान हेतु ग्रामीणों के साथ बैठक कर समस्या के समाधान पर चर्चा कर रास्ता निकलवाने की पहल की। जिसमे ग्रामीण से कुछ भूमि दान करने का अनुरोध किया गया ताकि सड़क का निर्माण किया जा सके। कुछ ग्रामीणों ने भूमि दान का समर्थन किया, जिसमें आलोक चौरसिया, बिपिन चौधरी, त्रिपुरारी चौधरी, अशोक चौधरी आदि के नाम शामिल है। सहायक सेनानायक ने वरीय पदाधिकारियों और सम्बन्धित विभागों से सम्पर्क कर इस अप्रोच पथ के निर्माण हेतु हर एक संभव प्रयास का आश्वासन दिया। वही जब इस सम्बंध में मुखिया शंकर प्रसाद से पूछा गया तब उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि हम पहले पहल किये थे लेकिन ग्रामीण जमीन नही दिए। वही जब प्रखंड विकास पदाधिकारी(BDO)आशीष मिश्रा से इस सम्बंध पूछा गया तब उन्होंने कहा कि अभी तक इस समस्या से सम्बंधित कोई आवेदन नहीं मिला है। अगर आवेदन मिलता है तो उसका समाधान किया जाएगा। डिजिटल युग और स्मार्ट सिटी(SMART CITY) के कवायदों के बीच सड़क, पानी, बिजली जैसी सामान्य सुविधाओं से महरूम यह गाँव सम्पूर्ण व्यवस्था पर करारा तमाचा है, यहां न तो प्राथमिक विद्यालय(PRIMARY SCHOOL) है न ही आंगनबाड़ी केंद्र, नौंनिहलों को शिक्षा (EDUCATION)के लिए कोसों दूर जाना पड़ता है और न ही चिकित्सा व्यवस्था है। यहां के बशिंदों को टीकाकरण और चिकित्सा के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है या यूँ कहे सरहद पर स्थित इस भारतीय गाँव के लोग कहने भर के लिए भारतीय(INDIAN) है लेकिन सरकार(GOVERNMENT) की किसी भी योजना का लाभ इन ग्रामीणों(VILLEGERS) को नहीं मिल पता है।

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