तुरकौलिया की हत्या जमीनी विवाद का नतीजा, अनुमंडल में कई जगह जमीनी विवाद, हो सकती है ऐसी घटनाओं की पूर्णावृति
सागर सूरज
मोतिहारी। जिले में भले ही प्रत्येक अपराधिक घटनाओं के बाद पुलिस की बेहतर कार्रवाई होती दिख रही हो फिर भी अपराधिक घटनाएँ रुकने का नाम नहीं ले रही है। घटना के बाद अपराधियों की गिरफ़्तारी और उसे लम्बे भेजने की पुलिस (police) प्रक्रिया के बाद भी अपराधियों का हौसला पस्त होता नहीं दिख रहा।
तुरकौलिया (turkauliya) में दावा व्यवसायी की गोली मार कर की गयी हत्या (murder) के पीछे जमीनी विवाद बताया जा रहा है।
मोतिहारी सदर अनुमंडल के थानों में तो भू-माफियाओं (land maphia) की तूती बोल रही है। जमीनी विवाद (land dispute) के मामले में पुलिस की कार्रवाई बड़ी ही लुंज-पुंज है वही
जमीनी विवाद में पुलिस अपने अधिकारों की सीमा की बात कहते हुए बड़ी ही आसानी से अपने जिम्मेदारियों से मुह मोड़ लेती है और फिर दोनों ही पक्षों को दुधारू गाय की तरह दोहन और शोषण का अंतहीन सिलसिला शुरू होता है। अंततः इस खेल के अंतिम विजेता भू-माफिया ही होते है क्योकि वे साहबों को जितना खुश कर सकते है उतना जमीन का असली मालिक नहीं कर सकता।
हाल की घटनाओं पर अगर नजर डाले तो कई अधिवक्ता, पत्रकार और चिकित्सक तक भू- माफियाओं के गिरफ्त में आ चुके है और पुलिस और माफियाओं के गठजोड़ के सामने वे महज़ भींगी बिल्ली बन अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर है, लेकिन अधिकारी भी उन भू-माफियाओं की ही सुन रहे है और ये सिलसिला तब-तक चलता है जब तक असली जमीन मालिक इन माफियाओं के सामने घुटने टेकते हुए उसको अपनी जमीन ओने-पौने दाम में सौप नहीं दे।
माफियाओं द्वारा किसी भी जमीन पर दावा करने और रंगदारी और भया दोहन के मामले को जमीनी विवाद बनाने के लिए उनको किसी कागजात की भी जरुरत नहीं। वे ऐसे ही दावा कर सकते है और जब आप अपनी जमीन पर जायेगे तो पुलिस 144 लागु करने की बात कहते हुए आपको जमीन पर जाने से रोक देगी। कभी कभी माफिया खतियान धारक के किसी परिजन को खड़ा कर देंगे। भले ही आप छः-सात ट्रान्सफर के डीड दिखाए, दखल-कब्ज़ा प्रमाणपत्र दिखाए, रसीद दिखाए और लम्बा कब्ज़ा दिखाए लेकिन आपसे कहा जायेगा खतियान से कनेक्शन दिखाईये और जब आप रिकॉर्ड रूम में जायेगे तो सरकार के रख-रखाव की कमी से आपको अपना कागज ढूढने में वर्षो लग सकते है तब तक आप अपनी ही जमीन से बेदखल हो सकते है। इस बीच पुलिस भी आप ही से कागजों की मांग करेगी क्योकि उन्हें माफियाओं की ही मदत करनी है।
ऐसे ही एक मामले में पत्रकार कफील इकबाल मोतिहारी सदर डीएसपी (motihari sadar dsp) एवं अन्य पुलिस कर्मियों के साथ सांप और सीढ़ी का खेल- खेल रहे है। इनके मामले में भी विपक्षी द्वारा लाख मांग करने पर भी कोई कागजात महीनों बाद भी प्रस्तुत नहीं किया गया लेकिन डीएसपी अरुण कुमार गुप्ता (DSP Arun Kumar Gupta) ने रंगदारी के इनके मुक़दमे को जाँच में भेज दिया। अगर अनुसंधानकर्ता को कागजात उपलब्ध नहीं करवाया गया इसका मतलब साफ़ है इनके पास कोई कागजात नहीं है। दूसरी ओर पीड़ित के पास जमीन से सम्बंधित कई डीड है और रशीद, दखल कब्ज़ा प्रमाण पत्र भी उनके नाम ही है, 100 वर्षों से ऊपर का लगातार कब्ज़ा भी है फिर भी उनके गवाहों को नजर अंदाज़ कर माफियाओं के गवाहों को आधार बना कर ऐसे ही निर्देश दिए गए है जो भू-माफियाओं को लाभ पहुंचा सके। निर्देशों में माफियाओं के आपराधिक इतिहास (criminal history) को नजर अंदाज़ कर दिया गया।
पूछने पर श्री गुप्ता ने कहा कि मामले में वरीय अधिकारियों के निर्देशों का पालन किया जा रहा है।
सनद रहे कि तुरकौलिया वाले मामले में भी दावेदारों के पीछे जमीनों के कथित दलाल लगे थे और दोनों ही पक्षों को उकसाने का कार्य किया जा रहा था। हालाँकि मामला पुलिस के पास पहुँचने से पहले ही हत्या हो गयी और पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुये हत्यारे सहित तीन लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया।
अनुमंडल क्षेत्र में अपराधियों का ये आलम है कि गत दिनों ही बाइक सवार अपराधियों ने कोटवा थाने के दीपऊ में हार्डवेयर व्यवसायी पुण्यदेव साह के पुत्र रोहित कुमार को दरवाजे के सामने गोली मार दी और रूपये लूट लिए। गोली युवक के जांघ में लगी।
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