राजकुमार के केंद्रीय मंत्री बनने पर सुपौल के लोगों में खुशी

राजकुमार के केंद्रीय मंत्री बनने पर सुपौल के लोगों में खुशी

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सुपौल। लंबे समय के बाद सुपौल (Supaul) के राजकुमार सिंह (Raj Kumar Singh) केंद्रीय मंत्री (Central Minister) बने हैं। केंद्रीय मंत्री बनने पर उनके पैतृक गांव के लोगों में हर्ष व्याप्त है। सुपौल जिले के लोगों की उम्मीदें भी अब जगने लगी हैं। जिले के डगमारा में कोसी नदी पर 130 मेगावाट के जल विद्युत […]

सुपौल। लंबे समय के बाद सुपौल (Supaul) के राजकुमार सिंह (Raj Kumar Singh) केंद्रीय मंत्री (Central Minister) बने हैं। केंद्रीय मंत्री बनने पर उनके पैतृक गांव के लोगों में हर्ष व्याप्त है। सुपौल जिले के लोगों की उम्मीदें भी अब जगने लगी हैं। जिले के डगमारा में कोसी नदी पर 130 मेगावाट के जल विद्युत परियोजना के पूरा होने का सपना साकार होता दिख रहा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 07 जुलाई को आरा के सांसद व सुपौल जिले के बसबिट्टी गांव के बेटे राज कुमार सिंह को मंत्रिमंडल विस्तार में केंद्रीय मंत्री का दायित्व सौंपा। इससे पहले 2003 में सुपौल के बेटे सैयद शाहनवाज हुसैन (Saiyad Shahnawaj Hussain) केंद्रीय मंत्री बने थे। इसके बाद कोई भी केंद्रीय मंत्री नहीं बना।

सुपौल के भपटियाही गांव में इस प्रोजेक्ट को लगाया जाएगा, जो कोसी के बाएं तटबंध पर स्थित है। परियोजना का कैचमेंट एरिया 61 हजार 972 वर्गमीटर है। इस परियोजना में कंक्रीट बैराज, अर्थ डैम और पावर हाउस का निर्माण किया जाना है। इसकी लंबाई 945 मीटर, 5750 मीटर और 283.20 मीटर होगी। इस परियोजना का स्थल पहले पूर्वी तटबंध के सिमरी गांव से डगमारा के बीच था। किसी कारण से राज्य सरकार ने इसका स्थल परिवर्तित कर सिमरी से 6 किमी दक्षिण कल्याणपुर से दुधैला के बीच कर दिया।

वर्ष 1965 में केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष कंवरसेन ने कोसी इलाके के लिए डगमारा में दूसरे बैराज की आवश्यकता पर बल दिया था। इस परियोजना को 2006-07 में ही अनुमति मिल गई थी। मगर पड़ोसी देश नेपाल से परमिशन नहीं मिलने के कारण मामला अटक गया था। फिर वर्ष 2007 में जब परियोजना निर्माण में एशियन डवलपमेंट बैंक ने रुचि दिखाई, जिसके बाद विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन बनाने का कार्य केन्द्रीय जल संसाधन विभाग की एजेंसी वैपकास को सौंपा गया। 25 अप्रैल, 2012 को केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के स्तर पर इस परियोजना की तकनीकी स्वीकृति के लिए अंतर मंत्रालयी समिति में विस्तार से चर्चा हुई थी। तब यह सहमति बनी थी कि आगे के काम के लिए बढ़ा जाए।

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