
दिनदहाड़े गोली मार कर बिपिन अग्रवाल की हत्या, संगीनो के साये में जीने को बिबस आरटीआई कार्यकर्ता
राकेश कुमार
मोतिहारी। जिले में आरटीआई कार्यकर्ता संगीनो के साये में जीने को बिबस है। पिछले दिनों पिपराकोठी के पास आरटीआई कार्यकर्ता भवानीपुर निवासी राजेंद्र सिंह की निर्मम हत्या के बाद, मोतिहारी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता नागेन्द्र जायसवाल धमकी के बाद शहर छोड़ कर गाजियाबाद चले गए और अब हरसिद्धि के आरटीआई कार्यकर्ता बिपिन अग्रवाल को अज्ञात अपराधियों ने गोली मार कर हत्या कर दी है।
अग्रवाल का गुनाह सिर्फ ये था कि उसने हरसिद्धि बाज़ार के सैकड़ो अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध लड़ाई लड़ते-लड़ते न्याय के लिए उच्च नयायालय में एक मुक़दमा ठोक दिया और फिर कोर्ट ने भी स्थानीय अधिकारीयों को अतिक्रमण खाली करवाने का आदेश दे दिया।
घटना के बारे में बताया गया है श्री अग्रवाल प्रखंड कार्यालय से लौट रहे थे उसी समय अपराधियों ने उन्हें पीछे से गोली मार दी। स्थानीय लोगों के द्वारा हरसिद्धि पीएचसी में भर्ती कराया गया जहाँ इलाज के क्रम में श्री अग्रवाल मौत हो गयी।
आरटीआई कार्यकर्ता ने कुछ वर्ष पूर्व ही करीब सौ स्थानीय लोगो को आरोपित करते हुए एसडीओ कोर्ट, अरेराज में सनहा दर्ज कराया था। सनहा में उन्होंने दर्ज कराया है कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ छेड़े गए जंग में उन्हें विभिन्न संगीन झूठे मुक़दमे में फंसाया जा सकता है या उनकी हत्या की जा सकती है।
विपिन अग्रवाल भारत गैस, सुगौली, बीपीएल सूची सुधार, एसबीआई, जन वितरण प्रणाली, हरसिद्धि, ब्लॉक व अंचल कार्यालय, फर्जी तरीके से शिक्षक नियोजन जैसे हरसिद्धि में पसरी अनियमितता को दूर करने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है।
उन्होंने हरसिद्धि बाजार में गैरमजरुआ जमीन के अतिक्रमण को लेकर उच्च न्यायालय पटना में मुकदमा किया था।इसके मुताबिक बाजार स्थित खाता संख्या एक व खेसरा संख्या 245, 411 में पड़ने वाले गुदरी बाजार, यादवपुर रोड व पकडिया रोड के समीप करोड़ों की कीमत वाली करीब आठ एकड़ जमीन पर अवैध तौर से कब्ज़ा कर मकान का निर्माण करा लिया गया है। अतिक्रमणकारियों में पप्पू खंडेलवाल सहित कई ऐसे लोग भी है, जो अपनी प्रभाव के बल पर अतिक्रमण किये हुए है।
गौरतलब है कि पूर्वी चम्पारण में रक्सौल के बाद सबसे महंगी जमीन यहीं की है। उच्च न्यायालय ने मामले को संज्ञान लेते हुए अंचल प्रशासन को अतिक्रमणकारियों को चिन्हित करते हुए अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था l लेकिन अतिक्रमण हटाने को ले कई बार महज खानापूर्ति की गई। प्रशासन के दोहरे रवैये से आजिज आकर विपिन ने सीओ, एसडीओ, एलआरडीसी व डीएम को पार्टी बनाते हुए उच्च न्यायालय में फिर से याचिका दायर की।
इस आधार पर न्यायालय ने अपने आदेश को पालन नहीं करने को अवमानना (कोर्ट ऑफ़ कंटेम्प्ट) करार देते हुए केस को एमजेसी 3166/13 में तब्दील कर दिया। इसी सिलसिले में न्यायालय के आदेश पर पूर्व में तत्कालीन सीओ अनिल कुमार सिंह को दोषी मानते हुए एसडीओ, अरेराज ने उनपर प्रपत्र ‘क’ भी गठित किया ।
सनद रहे कि अतिक्रमण हटाने को लेकर उच्च न्यायालय में भी एक मुकदमा विपिन वर्ष 2009 से लड़ रहे हैं। इस दौरान उन्होंने भारत गैस, सुगौली, बीपीएल सूची सुधार, एसबीआई, जन वितरण प्रणाली, हरसिद्धि, ब्लॉक व अंचल कार्यालय, हरसिद्धि में पसरी अनियमितता को दूर करने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। उन्होंने हरसिद्धि बाजार में गैरमजरुआ जमीन के अतिक्रमण को लेकर उच्च न्यायालय पटना में सीडब्ल्यूजेसी 2834/13 के तहत मुकदमा किया था। इसके मुताबिक बाजार स्थित खाता संख्या 1 व खेसरा संख्या 245, 411 में पड़ने वाले गुदरी बाजार, यादवपुर रोड व पकडिया रोड के समीप करोड़ों की कीमत वाली करीब आठ एकड़ जमीन पर अवैध तौर से कब्ज़ा कर मकान का निर्माण करा लिया गया।
हरसिद्धि में अतिक्रमणकारियों व अधिकारीयों के गठजोड़ का आलम ये है कि पिछले साल लॉकडाउन के दौरान हरसिद्धि-पकड़िया रोड रात के अंधेरे में ही अंचल के अधिकारियों के मेलजोल से पक्का मकान बना लिया गया।
उल्लेखनीय है कि विपिन के कार्यों को लेकर वर्ष 2014 में मुजफ्फरपुर की संस्था सर्वोदय मंडल एक राष्ट्रीय समारोह में उन्हें ‘यूथ आइकोन’ के तौर पर सम्मानित भी कर चुकी है। वह लंबे समय से माफिया, गुंडों और भ्रष्ट अफसरों की अनियमितताओं के खिलाफ आरटीआई के मोरचे पर संघर्षरत हैं।
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