बाहुबली पूर्व विधायक राजन तिवारी की गिरफ्तारी ने ताजा की 90 के दशक की दहशत

बाहुबली पूर्व विधायक राजन तिवारी की गिरफ्तारी ने ताजा की 90 के दशक की दहशत

Reported By SAGAR SURAJ
Updated By BORDER NEWS MIRROR
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सागर सूरज, मोतिहारी। अंडरवर्ल्ड की विसात पर राजनीति में अपनी जगह बनाने वाले गोविंदगंज के पूर्व विधायक सह बाहुबली राजन तिवारी को यूपी पुलिस ने 2005 के एक मामले में गिरफ्तार कर यूपी ले गयी है।

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यूपी पुलिस के 20 हजार रूपये के इनामी और बिहार के 90 के दशक का दहशत राजन तिवारी की गिरफ़्तारी के बाद जिले में सनसनी है।

 

यूपी पुलिस की माने तो बिहार के गोविंदगंज से उनके भाई राजू तिवारी को दो-दो बार विधायक बनाने एवं माताजी को प्रखंड प्रमुख का पद सुनिश्चित करवाने बाद तिवारी ने बिहार में तो अपनी सक्रियता कम कर दी थी, लेकिन यूपी में जारी रखी।

 

नतीजतन उत्तर प्रदेश के डीजीपी ने 61 माफियाओं को सूचीबद्ध करते हुए तिवारी का नाम भी उसमे डाला था। जोन कार्यालय ने राजन की पृष्ठिभूमि में झांका तो पाया की राजन 17 वर्षों से एक गैर जमानती मामले में फरार है।

 

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फिर क्या था यूपी की टास्क फोर्स ने राजन को नेपाल सीमा से धर दबोचा। एसएसपी डॉ गौरव ग्रोवर के आदेश का अनुपालन को लेकर सीओ गोरखपुर कैंट नेत्रित्व में एक टीम बनायी गयी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

 

इधर, राजन तिवारी की गिरफ्तारी के बाद उनसे जुड़े कई खौफनाक पन्नों के परत दर परत खुलने लगे है, लेकिन उनके समर्थक सोशल मीडिया पर उनको निर्दोष बताते हुए गिरफ्तारी के पीछे राजनीतिक साजिश बता रहे हैं।  

 

राजन तिवारी बाहुबली विधायक देवेंद्र दुबे की हत्या के बाद वर्ष 2000 में निर्दलीय विधायक गोविंदगंज विधानसभा से चुने गए। फिर क्या था उनका सिक्का अंडरवर्ल्ड में जमता चला गया।

 

राजन तिवारी से जुडे सबसे खौफनाक कहानियों में से एक बेतिया के री रोलिंग मिल के मालिक रमेश तोदी अपहरण कांड से था, जिसका अपहरण मोतिहारी से तब हो गया।

 

जब वह मोतिहारी के राजा बाजार स्थित राकेश लोहिया के यहां एक कार्यक्रम में भाग लेने आये थे। इस मामले में रमेश तोदी के मेनेजर की लाश बरामद की गयी थी और आरोप था कि तकरीबन 5 करोड़ की राशी लेकर तोदी को मुक्त किया गया था।

 

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बाद में राकेश लोहिया परिवार भी दहशत में राजा बाजार छोड़ कर राजस्थान चला गया। इस मामले में राजन तिवारी का नाम आया था। 13 जून 1998 को बिहार के तत्कालीन लालू कैबिनेट के उर्जा मंत्री सह आदापुर विधान सभा से चार बार के विधायक रहे बृज बिहारी प्रसाद की पटना एम्स में हुए हत्या में यूपी का कुख्यात श्री प्रकाश शुक्ला एवं मुजफ्फरपुर के छोटन शुक्ला के साथ राजन तिवारी का नाम भी आया।

 

जिसमें लोअर कोर्ट ने राजन तिवारी को सजा सुनाई। लेकिन, उच्च न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में राजन तिवारी को बरी कर दिया। पूर्णिया विधायक और कम्युनिस्ट नेता अजित सरकार को 14 जून 1998 को उन्हें सड़कों पर 107 गोलियां मारी गयी।

 

इस मामले में सूरज भान सिंह, पप्पू यादव एवं अन्य के साथ राजन तिवारी भी अभियुक्त बनाए गए थे। तत्कालीन कानून व्यवस्था से भयभीत अजित सरकार के बेटे अमित सरकार भारत छोड़ ऑस्ट्रिया रहने लगे।

 

राजन तिवारी बाहुबली सह गोविंदगंज के पूर्व विधायक देवेंद्र दुबे की हत्या का आरोप बृज बिहारी प्रसाद पर था। बृज बिहारी प्रसाद की हत्या देवेंद्र दुबे हत्या के प्रतिशोध का परिणाम था।

 

गोरखपुर में शाम करीब 5.30 बजे राजन को पुलिस ने गोरखपुर दीवानी कचहरी में गैंगस्टर कोर्ट में पेश किया। राजन की ओर से मेडिकल लगाकर जमानत की अर्जी लगाई गई थी, लेकिन मेडिकल से संबंधित कागजात पूरे नहीं होने से कोर्ट ने जमानत खारिज कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।

 

इस मामले की अगली सुनवाई अब सोमवार यानी 22 अगस्त को होगी। इसके खिलाफ बिहार और यूपी में कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। अकेले गोरखपुर में उस पर 36 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं।

 

वह कैंट थाने में दर्ज गैंगेस्टर के मुकदमे में वांछित था और करीब 60 गैर जमानती वारंट  कोर्ट से जारी था। राजन तिवारी मूल रूप से गोरखपुर के गगहा थाना क्षेत्र के सोहगौरा गांव का रहने वाला है।

 

राजन तिवारी पर यूपी और बिहार में 40 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। बिहार में पूर्वी चंपारण के गोविंदगंज सीट से दो बार विधायकी जीतने वाले राजन तिवारी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लखनऊ में भाजपा की सदस्यता ली थी।

 

हालांकि, इस पर विवाद होने के बाद पार्टी ने राजन को साइड लाइन कर दिया था। राजन तिवारी ने खुद को भाजपा नेता ही बताया। इससे पहले उन्होंने 2016 में बीएसपी जॉइन की थी।

 

वह पूर्वी चंपारण के गोविंदगंज से लोजपा से विधायक रह चुका है। इसके अलावा राजन तिवारी 2004 में लोकसभा पहुंचने के लिए भी भाग्य आजमा चुका है।

 

यूपी के महाराजगंज की लक्ष्मीपुर विधानसभा सीट से विधायक रहे वीरेंद्र प्रताप शाही पर

हमले में भी राजन तिवारी का नाम आया था। इस घटना में माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला और राजन तिवारी समेत चार लोगों को आरोपी बनाया गया था।

 

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