जमीनों के कब्जे को लेकर पूर्व एसपी सहित अन्य पर उच्च न्यायालय का संज्ञान, जमीन माफियाओं मे हड़कंप

सागर सूरज
मोतीहारी : शहर की एक जमीन के कब्जे को लेकर उच्च न्यायालय के एक जस्टिस ने जिले के पूर्व पुलिस अधीक्षक नवीन चंद्र झा, नगर पुलिस निरीक्षक विजय राय सहित 18 लोगों के विरुद्ध संज्ञान लिया है | नवीन चंद्र झा वर्तमान मे बिहार के शाहबाद प्रक्षेत्र के डीआईजी है |
नगर थाने के करीब स्टेशन रोड मे स्थित तकरीबन 50 करोड़ के कीमत की एक जमीन को कब्जे के प्रयास के बाद दर्ज एक मुकदमे की सुनवाई करते जस्टिस डॉक्टर अंशुमान ने दर्ज मुकदमे मे किसी भी तरह की कार्रवाई पर रोक लागाते हुए सभी प्रतिवादियों को अपना- अपना पक्ष रखने को लेकर नोटिस जारी किया है |
न्यायालय के इस एक्शन के बाद ना केवल शहर के भू -माफियाओं मे हड़कंप है, वही पुलिस महकमे मे चर्चाओं का बाजार गर्म है | जिले के सुगौली थाना क्षेत्र के कर्ममावा निवासी किशोर चंद्र मिश्र सहित 15 आवेदकों ने एक 'क्रिमिनल रिट' के माध्यम से तत्कालीन एसपी नवीन चन्द्र झा एवं अन्य पुलिस कर्मियों पर आरोप लगाया है कि इन लोगों के सहयोग से गत 24 जून 2021 को शहर के भू -माफियाओं की एक टीम ने जमीन पर कब्जा करते हुए चहारदीवारी करने का प्रयास किया |
स्थानीय पुलिस से सहयोग नहीं मिलने पर बिहार के तत्कालीन पुलिस महानिदेशक के हस्तक्षेप के बाद स्थानिय लोगों की एक भीड़ ने चहारदीवारी को तोड़ने का कार्य किया, वही असफलता की स्थिति मे पीड़ित पक्ष पर एक झूठा दलित अत्याचार का मुकदमा भी दर्ज कर दिया गया | इस झूठे मुकदमे को सत्य भी किया गया, ताकि पीड़ितों पर दबाब बनाई जा सके वही पीड़ितों द्वारा दर्ज मुकदमे को फल्स कर दिया गया |
इसी मुकदमे को लेकर उच्च - न्यायालय मे दर्ज प्राथमिकी के रद्दीकरण को लेकर एक रीट दाखिल किया गया | वादियों के तरफ से दलिल देते हुए विद्वान अधिवक्ता मयंक शेखर ने मुकदमे के दो विंदुवों पर कोर्ट को समझा पाने मे सफल रहे | एक तो दलित अत्याचार के मुकदमे के आवेदक अशोक कुमार मिश्र थे, जो दलित नहीं थे, वही कब्जा करने वाले लोग तीसरा पक्ष थे जबकि जिन दो पक्षों मे लड़ाई हो रही थी दोनों ने कोर्ट मे समझौता का आवेदन दे रखा था |
दूसरी बात उच्च न्यायालय मे दाखिल दूसरी अपील मे कोर्ट ने जमीन पर निषेधाज्ञा लागू कर रखा था फिर भी ना तो कब्जा करने वाले मानने तो तैयार थे और ना ही प्रशासन |
इधर आवेदकों का मानना है कि मुकदमे मे उच्च न्यायालय के एक बड़े वकील को रखा गया था, जो प्रतिवादियों के प्रभाव मे आ गए थे | शहर मे ऐसे अन्य मामले मे नवीन चंद्र झा एवं अन्य के विरुद्ध दाखिल हाई कोर्ट के मुकदमे को बिना पार्टी के सूचना के वापस ले लिया गया वही इस मुकदमे मे बार बार कोर्ट द्वारा सूचित करने के बाद भी अधिवक्ता कोर्ट मे उपस्थित नहीं हुए तो अनापत्ति प्रमाणपत्र के बाद मयंक शेखर ने इस मुकदमे को देखना शुरू किया | बाकी आवेदकों ने पुनः रिट को री -स्टोरेसन मे लगे है या नया दाखील करने मे |
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