खजूरबनी शराबकांड में मौत की सजा गड़बड करने वालों के लिए सबक : नीतीश
पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गोपालगंज के खजूरबानी में जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की हुई मौत के मामले में नौ लोगों को न्यायालय से मौत की सजा सुनाये जाने पर शनिवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि यह गड़बड़ करने वालों के लिए एक सबक होगा। एक संदेश जाएगा और लोग इस तरह सबक लेंगे और गड़बड़ करने से बचेंगे।
राजधानी पटना में टीपीएस कॉलेज के कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी कानून को लेकर पुलिस और उत्पाद विभाग के आला अधिकारी प्रतिदिन इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। जो भी गड़बड़ करता है उस पर कार्रवाई होती है। सजा मिलने से लोगों में संदेश जायेगा कि गड़बड़ करने वाले बचेंगे नहीं।
नीतीश ने कहा कि यह घटना जिस साल हुयी थी, उसी वर्ष शराबबंदी हुयी थी। बिहार में जो शराबबंदी लागू की गयी है, वह लोगों के हित में है। उस वक्त भी हमने कहा था कि शराब पीजिएगा तो जहरीली शराब मिलेगी और मौत होगी। उन्होंने कहा कि शराबबंदी पूरे बिहार की महिलाओं की मांग थी। यह राष्ट्रपिता ने भी कहा था। प्रदेश के आमजन को भी इस पर नजर रखनी चाहिए और अभियान चलाना चाहिए।
खजूरबानी जहरीली शराब कांड में बिहार में पहली बार किसी कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। इसके पूर्व अलग-अलग जिलों में शराब की बरामदगी के मामले में आरोपितों को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। बिहार के बहुचर्चित खजूरबानी जहरीली शराबकांड में करीब साढ़े चार वर्षों तक चले मुकदमे में अभियोजन पक्ष से सात और बचाव पक्ष की ओर से एक की गवाही हुई। बीते 26 फरवरी को 14 में से 13 लोगों को दोषी ठहराया गया था। एक आरोपित ग्रहण पासी की पहले ही मौत हो चुकी है।
वर्ष 2016 के अगस्त माह में गोपालगंज जिले के नगर थाने के खजूरबानी में जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, 10-12 लोगों ने अपनी आंखों की रोशनी गंवा दी थी। मामले मे पुलिस ने छापेमारी कर खजूरबानी में भारी मात्रा में जहरीली शराब बरामद की थी। शराब बरामदगी के बाद नगर थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष बीपी आलोक के बयान पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
पुलिस के आरोप पत्र दाखिल किए जाने के बाद सुनवाई शुरू हुई। इस मामले में 14 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। खजूरबानी कांड के बाद नगर थाने के सभी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया था। बाद में राज्य सरकार ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया। हालांकि, पुलिसकर्मियों की बर्खास्तगी के आदेश को चार फरवरी 2021 को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था।
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