भारत से क्या रिश्ता है पाक के विपक्ष का

भारत से क्या रिश्ता है पाक के विपक्ष का

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आर.के. सिन्हा पाकिस्तान के विपक्ष का भारत से भी कोई संबध है? भले इस तरह की बात न हो क्योंकि भारत का किसी अन्य मुल्क के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का इरादा कभी रहा नहीं। पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की खासमखास कैबिनेट मंत्री शिरिन मजारी को यही लगता है। विगत 26 अक्तूबर को […]
आर.के. सिन्हा
पाकिस्तान के विपक्ष का भारत से भी कोई संबध है? भले इस तरह की बात न हो क्योंकि भारत का किसी अन्य मुल्क के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का इरादा कभी रहा नहीं। पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की खासमखास कैबिनेट मंत्री शिरिन मजारी को यही लगता है। विगत 26 अक्तूबर को उन्होंने पाकिस्तान की संसद में आरोप लगाया कि पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) का भारत से संबंध है। दरअसल पाकिस्तान में सभी प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने मिलकर पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) का गठन किया है। यह पीडीएम मोर्चा इमरान सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहा है और उनके इस्तीफे की खुलकर माँग कर रहा है।
मानवाधिकार मामलों की पाकिस्तानी मंत्री मजारी कहती हैं कि जब (अजीत) डोभाल भारत से जंग की धमकी दे रहे हैं, उसी समय ही पीडीएम के कुछ नेता बलूचिस्तान की आजादी की मांग करने लगे हैं और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की चाहत है कि पाकिस्तानी सेना में विद्रोह हो जाए। इसे दिवा स्वपन नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे।
मजारी ने अपने ट्वीट में यहां तक कहा कि “क्या भारत के नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल और पीडीएम का एक जैसी बातें करना मात्र संयोग है।” मजारी का भारत को इस विवाद में घसीटना साबित करता है कि पाकिस्तान में आतंरिक स्थितियां बेकाबू, बेहद विस्फोटक और इमरान सरकार के प्रतिकूल हो चुकी हैं। पीडीएम अब पूरे पाकिस्तान में इमरान सरकार की हरकतों को उजागर कर रहा है। मजारी का इन खराब हालातों में भारत को लाने के पीछे मोटा-मोटी उद्देश्य यही है कि पाकिस्तानी विपक्ष के साथ-साथ भारत को भी बदनाम किया जा सके।
दरअसल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के एक हालिया बयान से दुश्मन मुल्कों की नींद उड़ी हुई है। डोभाल ने उत्तराखंड के हरिद्वार में बीते दिनों एक कार्यक्रम में कहा कि किसी की इच्छा पर नहीं, बल्कि भारत अपनी जरूरत या खतरे को देखकर युद्ध करेगा। अजित डोभाल के बयान से दुश्मन मुल्क पूरी तरह सहम गए हैं। विजयादशमी के मौके पर अजित डोभाल ने कहा-‘हम वहीं लड़ेंगे जहां से हमें खतरा आ रहा है। हम उस खतरे का मुकाबला वहीं जाकर करेंगे। हम युद्ध तो करेंगे पर अपनी जमीन पर भी कर सकते हैं और बाहर भी करेंगे। लेकिन, यह हमें अपने निजी स्वार्थ के लिए नहीं परमार्थ के लिए करना पड़ेगा।’ डोभाल के बयान से पाकिस्तानी हुक्मरानों की तो रातों की नींद उड़ गई है। मजारी के बयान से पाकिस्तान सरकार की इस चिंता को समझा जा सकता है।
इस बीच, पाकिस्तान के शहर पेशावर में पिछले मंगलवार को भयानक बम विस्फोट हो गया है। इसमें लगभग 10 लोगों के मारे जाने और बहुत से लोगों के घायल होने की भी खबर है। विस्फोट को रिमोट से नियंत्रित किया गया था और घटना में जिस बम का इस्तेमाल किया गया, वह देसी बताया गया है। हमले में खासतौर पर पाक-पुलिस को निशाना बनाया गया था।
मतलब साफ है कि पाकिस्तान बेहद बुरे संकट के दौर से गुजर रहा है। एक तरफ कोविड-19 का असर और दूसरी तरफ पीडीएम का आंदोलन। पीडीएम के एक बड़े नेता का बलूचिस्तान की आजादी की मांग करना सच में किसी सामान्य घटना के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। इमरान खान बलूचिस्तान सूबे में विद्रोह की आहट को समझ ही नहीं पाए या समझकर भी आँखें मूंदकर बैठे रहे। बलूचिस्तान में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी नाम का संगठन किसी सूरत में पाकिस्तान से अपने बलूचिस्तान को अलग कराना चाहता है। उसे सूबे की बहुमत जनता का आशीर्वाद हासिल है। इसके लिए यह संगठन अब हिंसक रास्ते पर भी चल पड़ा है। उसे पीडीएम के नेता की मांग से बल भी मिलेगा।
आपको याद होगा कि इसी ने कुछ हफ्ते पहले कराची के स्टॉक एक्सचेंज बिल्डिंग में भी एक आतंकी हमले को अंजाम दिया था। स्टॉक एक्सचेंज में हुए आतंकी हमले में करीब दस लोगों की जानें गई थी। हमलावरों ने वहां ग्रेनेड से हमला किया था। तब से इमरान खान अपने देश की संसद में बेशर्मी से दावा कर रहे हैं कि कराची में आतंकी घटना के पीछे भारत का हाथ है। अब उनकी एक मंत्री मजारी भी अपने देश के विपक्ष और भारत के बीच संबंध स्थापित करवा रही हैं। इमरान को अपने देश के विपक्ष की मांगों और उनके आंदोलन को गंभीरता से लेने की जरूरत है न कि भारत पर मिथ्या आरोप लगाकर जनता को गुमराह करने की। इमरान खान विपक्षी पार्टियों की एकजुटता पर हमला करते हुए उन्हें “डाकुओं की एकता” तक कह रहे हैं।
हालांकि इमरान सरकार विपक्ष को यथा संभव डरा-धमका रही हैI लेकिन, विपक्ष सरकार की धमकियों से घबरा नहीं रहा है और इमरान खान पर उसके हमले कम नहीं हो रहे हैं बल्कि हर दिन बढ़ते जा रहे हैं। इमरान खान अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर खासतौर पर हमले बोल रहे हैं। नवाज शरीफ को पाकिस्तान के कठमुल्ले भी भारत का ही आदमी बताते हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि नवाज शरीफ ने 2008 के मुंबई हमलों के लिए परवेज मुशर्रफ को जिम्मेदार बताया था।
इमरान खान तो यहां तक कह गए थे कि 2008 में भारत ने मुंबई में खुद हमला करवाया था। देख लें इमरान का घटियापन। मुंबई में हुए उस खूनी हमले को 12 साल से ज्यादा हो रहे हैं, पर पाकिस्तान अबतक उस कत्लेआम के गुनाहगारों को सजा तक दिलवा नहीं पाया है। वैसे वहां उन हमलों के आरोपियों पर नाम भर के लिये केस चल रहे हैं। इमरान खान से जरा यह भी पूछा जाना चाहिए कि मुंबई हमला भारत ने करवाया तो उसके आरोपियों के खिलाफ पाकिस्तान में केस क्यों चल रहा है? वे यह भी बता दें कि अजमल कसाब कौन था और कहाँ का रहने वाला था? चूंकि इमरान खान सच के साथ कभी खड़े नहीं होते इसलिए शायद उन्हें अशांत बलूचिस्तान की स्थिति की वजह समझ नहीं आ रही है। वहां बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी चुन-चुनकर पाकिस्तानी पंजाबियों को मार रही है। सवाल यह है कि पंजाबियों को बलूचिस्तान में किस कारण से निशाना बनाया जा रहा है? क्या यह भी भारत ही करवा रहा है।
पाकिस्तान के हालात को लेकर पिछले दिनों यह भी आशंका जताई जा रही थी कि वहां सेना जल्द ही इमरान सरकार का तख्ता पलट देगी। इस तरह की राय रखने वाले पाकिस्तान की जमीनी हकीकत से शायद वाकिफ नहीं हैं। वहां अभी भी सेना ही सत्ता पर काबिज है। इमरान खान को तो सेना ने जनता को मूर्ख बनाने के लिए कठपुतली प्रधानमंत्री बनवा दिया था। फिलहाल एक बात मानकर चलिए कि वहां आतंरिक हालात जैसे-जैसे बिगड़ेंगे वैसे-वैसे इमरान खान, मजारी और सरकार के अन्य प्रमुख नेता भारत को ही दोष देते रहेंगे।
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं।)

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