
फिर वार्ता नाकाम, चीन से कहा- किसी भी घटना के लिए तैयार रहें
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नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच मेजर जनरल स्तर की छठवें दौर की वार्ता उम्मीद के मुताबिक फिर नाकाम हुई है। भारत की तरफ से वार्ता कर रहे कमांडर ने साफ कहा कि डेप्सांग से चीन को अपने सैनिक वापस बुलाने होंगे, वरना “किसी भी घटना के लिए तैयार रहें”। पूर्वी लद्दाख में एलएसी के कुछ विवादित क्षेत्रों से […]
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच मेजर जनरल स्तर की छठवें दौर की वार्ता उम्मीद के मुताबिक फिर नाकाम हुई है। भारत की तरफ से वार्ता कर रहे कमांडर ने साफ कहा कि डेप्सांग से चीन को अपने सैनिक वापस बुलाने होंगे, वरना “किसी भी घटना के लिए तैयार रहें”। पूर्वी लद्दाख में एलएसी के कुछ विवादित क्षेत्रों से चीनी सेना पीछे हटी है मगर डेप्सांग और पैंगॉन्ग झील के फिंगर एरिया से हटने को तैयार नहीं है। सेना को ‘खुली छूट’ देने के बाद रक्षा मंत्री भी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने के निर्देश दे चुके हैं।
लद्दाख सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ सीमा विवाद पर चर्चा करने के लिए शनिवार को दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) क्षेत्र में भारत और चीन के बीच मेजर जनरल स्तर की वार्ता हुई। सुबह 11 बजे शुरू हुई बैठक शाम साढ़े सात बजे समाप्त हुई। इस छठे दौर की 8 घंटे की वार्ता में भी भारत और चीन के बीच पैंगॉन्ग झील, डेप्सांग मैदानी क्षेत्र और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स एरिया के विवादित मुद्दों का समाधान नहीं निकल सका है। भारतीय पक्ष से तीसरी इन्फेंट्री डिविजन के जनरल अफसर कमांडिंग मेजर जनरल अभिजीत बापट ने बातचीत का नेतृत्व किया। भारत ने चीन से डेप्सांग और दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) सेक्टर में तैनात अपने सैनिकों को वापस बुलाने और निर्माण गतिविधियां रोकने के लिए कहा। इस इलाके में चीन ने हजारों सैनिकों के साथ-साथ टैंक और आर्टिलरी गन तैनात कर रखे हैं।
दोनों सेनाओं के कोर कमांडरों के बीच 2 अगस्त को हुई पांचवें दौर की बातचीत में लिये गए फैसलों पर अब तक चीन की ओर से अमल न किये जाने पर भी प्रमुखता से बात हुई। दोनों पक्षों ने विवादित क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाने के लिए समय सीमा तय करने पर भी बातचीत की। सैन्य वार्ता में भारतीय पक्ष ने फिर पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में पांच मई से पहले के अनुसार यथास्थिति तत्काल बहाल करने पर जोर दिया। डेप्सांग मैदानी क्षेत्र, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स एरिया और पैंगॉन्ग झील के फिंगर क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी है। भारत ने चीन से फिंगर चार और आठ के बीच का क्षेत्र खाली करने को कहा। इस सबके बावजूद भारत और चीन के बीच मेजर जनरल स्तर की छठवें दौर की वार्ता उम्मीद के मुताबिक फिर नाकाम हो गई। भारत की तरफ से वार्ता कर रहे मेजर जनरल अभिजीत बापट ने साफ कहा कि चीन को विवादित क्षेत्रों से अपने सैनिक वापस बुलाने होंगे, वरना “किसी भी घटना के लिए तैयार रहें”।
चीन के इसी अड़ियल रुख को देखते हुए सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने पिछले गुरुवार को पूर्वी कमान और शुक्रवार को मध्य कमान का दौरा किया है। इन दोनों कमान में आने वाले उत्तर सिक्किम, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा पर भारतीय सेना और वायुसेना ने उच्च स्तरीय तैयारियां रखने का फैसला किया है। सेना प्रमुख नरवणे ने एलएसी के अग्रिम मोर्चों पर तैनात सेना के सभी वरिष्ठ कमांडरों को हाई अलर्ट पर रहने और चीन के किसी भी दुस्साहस से निपटने के लिए आक्रामक रुख बरकरार रखने के निर्देश दिए हैं। भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख के साथ-साथ एलएसी के अन्य सभी संवेदनशील क्षेत्रों में सैनिकों और हथियारों की तैनाती के लिए विस्तृत योजना तैयार की है।
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