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बिगनी मलाहीन : समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई, कभी चेहरा नहीं मिलता, कभी दर्पन नहीं मिलत

बिगनी मलाहीन : समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई, कभी चेहरा नहीं मिलता, कभी दर्पन नहीं मिलत मैं सिर्फ पवन जयसवाल, बाबलू गुप्ता, हेना चंद्रा, अखिलेश सिंह और राजा ठाकुर जैसे योद्धाओं की बात नहीं कर रहा हूँ | इसमे कौन दुशमन थे, ये तो हमेशा अंदेशाओं पर आधारित थे, लेकिन दोस्त सभी थे | आज भी कुछ साथ मे है, तो कुछ बाहर से इस महाभारत का आनंद लेने मे ही अपनी भलाई समझते है |   
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