अहमदाबाद। अहमदाबाद में इस साल 142 साल पुरानी परंपरा टूट गई। इस बार उच्च न्यायालय के प्रतिबंध के बाद भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा आषाढ़ी बिज के दिन नगर भ्रमण नहीं कर सकी। आज भगवान के विग्रहों को रथ से उतार कर मंदिर में पुन: स्थापित कर दिया गया। इस बीच भगवान जगन्नाथ मंदिर के महंत […]
अहमदाबाद। अहमदाबाद में इस साल 142 साल पुरानी परंपरा टूट गई। इस बार उच्च न्यायालय के प्रतिबंध के बाद भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा आषाढ़ी बिज के दिन नगर भ्रमण नहीं कर सकी। आज भगवान के विग्रहों को रथ से उतार कर मंदिर में पुन: स्थापित कर दिया गया। इस बीच भगवान जगन्नाथ मंदिर के महंत व प्रमुख पुजारी दिलीप दास ने एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि उनके साथ खेल खेला गया है। महंत ने इस साल रथयात्रा न निकल पाने पर नागरिकों से रोते हुए माफी मांगी।
बुधवार को मंदिर के महंत दास ने कहा कि उन्हें किसी ने आश्वासन दिया था कि रथयात्रा निकालने की अनुमति दे दी जाएगी। उन्होंने कहा कि मैंने जिस पर भरोसा किया, वह अपने वायदे पर खरा नहीं उतरा। मैंने गलत व्यक्ति पर भरोसा किया। इसीलिए मैं भगवान जगन्नाथ को नगरयात्रा नहीं करवा सका। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता, लेकिन मेरा काम तब होता जब मैं किसी और के बजाय भगवान पर भरोसा करता।”
मंदिर के ट्रस्टी महेंद्र झा ने कहा कि, “हमारा आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया है।” उन्होंने कहा कि रथयात्रा की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं। सरकार, ईश्वर, न्यायालय पर भी भरोसा था। लेकिन हम गलत थे। हमें अंतिम में सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए समय नहीं मिला था। मंदिर के महंत भी चाहते थे कि भगवान जगन्नाथजी के तीनों रथ नगर में निकलें लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बुधवार को रथयात्रा के बाद भगवान जगन्नाथ सहित तीनों विग्रहों को रथ से उतार कर मंदिर में पुन: स्थापित कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि पुरी में जगन्नाथ यात्रा को मंजूरी मिलने के बाद अहमदाबाद में भी रथयात्रा निकालने के लिए अंतिम समय तक प्रयास किए गए थे। सरकार से यह भी उम्मीद की गई थी कि हाई कोर्ट से मंजूरी मांगी जाएगी। हाई कोर्ट में कार्यवाही देर रात तक चली। रथयात्रा से एक दिन पहले तक महंत दिलीपदास को उम्मीद थी कि रथयात्रा होगी। लेकिन हाई कोर्ट ने रथयात्रा निकलने की अनुमति नहीं मिल सकी।
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