Spread the love
केसरिया,पूर्वी चंपारण। प्रखंड क्षेत्र के भारत बिरयानी होटल के प्रागंण मे भारत के प्रथम पूर्व शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद कि जयंती समारोह का आयोजन किया गया। इस आयोजन के अध्याक्षता जदयू के प्रखंड अध्यक्ष चूनू सिंह एवं मंच संचालन जदयू के प्रदेश के नेता वशिल अहमद खान ने किया। इस जयंती समारोह मे दलित, मुस्लिम सम्मेलन सह सम्मान समारोह भी किया गया। इस आयोजन मे महेश्वर हजारी माननीय मंत्री एवं खालीद अनवर माननीय सदस्य विधान परिषद के नेता ने कहा कि बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने दलितों एवं मुसलमानों के मान्य समान देने का काम किया और आज के मुखिया चुनाव मे पंच सरपंच को एवं वार्ड पार्षद को दस लाख का चेक काटने का समान अधिकार दिया। वहीं सभा को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक महेश्वर सिंह ने कहा कि जब आज़ादी के बाद मौलाना अब्दुल कलाम आजाद देश के प्रथम शिक्षा मंत्री बने तो उनकी ये सोच थी कि देश के हर आदमी तक शिक्षा पहुंचे। जिस समय भारत मां के पैरों में गुलामीयो कि बेड़ीया पड़ीं थी कितने ही आजादी के दिवाने फांसी पर लटकाए जा रहें थे उस समय उन्होंने एक राष्ट्र का सपना देखा एवं उस सपने को साकार करने के लिए आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया। आजाद साहब का एक सपना था कि समता मूलक समाज की हम स्थापना करें लेकिन आज़ादी के बाद कांग्रेस सरकार ने उनके सारे सपनों को मटीया मेट कर दिया। मकान से आने के बाद सारे लोगों का रहन सहन बदल जाता है लेकिन जिसका जन्म ही मक्का में हूआ हो उसकि फिदरत कैसी होगी हमें आज यह समझने कि जरूरत है। नितीश कुमार ने आज दलीतो एवं अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को जितना मान सम्मान दिया है उतना आज तक किसी सरकार ने नहीं दिया था इसी सम्मान का देन है पहले मुखिया लठधर होता था लेकिन आज दलीत एवं अल्पसंख्यक समुदाय के लोग मुखिया एवं प्रमुख बन पाते हैं एक वार्ड सदस्य भी आज दस लाख का चेक काटता है एवं अपने आप को गोरवान्वित समझता है। वहीं विधान पार्षद खालीद अनवर ने कहा कि पूर्व कि सरकार ने जो आज अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के साथ किया वहीं व्यवहार अब्दुल कलाम के लिए भी किया गया। जिस तरह यहां के सरकारों ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के आवाज को दबाने एवं हक मारने का काम किया उस आवाज एवं हक को हमारे मुख्यमंत्री नितीश ने देने का काम किया। जिस इंदिरा गांधी ने अपनी राजनीति अब्दुल कलाम आजाद के द्वारा ही शुरू किया पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आजाद के साथ राजनीति सुरूआत किया उसी कांग्रेस ने अब्दुल कलाम आजाद को भुला दिया। इस लिए भुला दिया कि उसको आवाम का हक मारना था। जिसे भारत रत्न का सम्मान गैर कांग्रेसी सरकार ने दिया। वहीं पर मंत्री महेश्वर हजारी ने कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद ना हिन्दू थे ना ही मुस्लिम थे वे एक सच्चे हिंदुस्तानी थे जिन्होंने हमेशा सभी लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए प्रयास किया। मौलाना अबुल कलाम आजाद हिन्दी उर्दू फारसी पुस्तकों को पढ़ने एवं पढ़ाने पर बल दिया। मौके पर जदयू नेता जदयू के जिला अध्यक्ष भुवन पटेल, सरदार मंजीत सिंह, कैप्टन हमीद साहब, प्रमोद पासवान, मौलाना अनिसुर रहमान, अगनिश पांडेय, मुन्ना खां, इशहाक आजाद, नीरजा देवी, सहित हजारों कार्यकर्ता सम्मेलन में उपस्थित थे।