अब फ्रांस से राफेल की आपूर्ति में नहीं होगी देरी, जुलाई में मिलेंगे

अब फ्रांस से राफेल की आपूर्ति में नहीं होगी देरी, जुलाई में मिलेंगे

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फ्रांसीसी राजदूत ने दिया भरोसा, भारत को पहले चार राफेल भेजने के लिए जल्द होगी व्यवस्था  नई दिल्ली। लड़ाकू विमान राफेल की आपूर्ति में अब देरी नहीं होगी। फ्रांस ने भारत को आश्वासन दिया है कि जुलाई के आखिर तक विमान भारत को मिल जाएंगे। हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल और स्कैल्प […]
फ्रांसीसी राजदूत ने दिया भरोसा, भारत को पहले चार राफेल भेजने के लिए जल्द होगी व्यवस्था 
नई दिल्ली। लड़ाकू विमान राफेल की आपूर्ति में अब देरी नहीं होगी। फ्रांस ने भारत को आश्वासन दिया है कि जुलाई के आखिर तक विमान भारत को मिल जाएंगे। हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल और स्कैल्प क्रूज मिसाइल राफेल जेट के हथियार पैकेज का मुख्य आधार होगा। भारत आने से पहले फ्रांसीसी वायु सेना के टैंकर विमान से राफेल जेट में हवा में ही ईंधन भरा जाएगा। मिडिल ईस्ट से आते वक्त भारत में उतरने से पहले विमान में भारतीय आईएल-78 टैंकर द्वारा फिर से हवा में ईंधन भरा जाएगा। 
 
भारत की तरह फ्रांस भी कोरोना वायरस से जूझ रहा है। फ़्रांस में 1,45,000 से अधिक लोग वायरस से संक्रमित हुए जबकि 28,330 मौतें हुई हैं। पहले इन लड़ाकू विमानों की डिलीवरी मई आखिर में होने वाली थी लेकिन कोरोना की वजह से भारत और फ्रांस में पैदा हालात के कारण इसे दो महीने के लिए स्थगित कर दिया गया। दो सीटों वाले तीन प्रशिक्षण विमान सहित पहले चार राफेल जेट जुलाई के अंत तक अंबाला एयरबेस पर पहुंचने लगेंगे। ये लड़ाकू विमान आरबी सीरीज के होंगे। पहला विमान 17 गोल्डेन एरोज के कमांडिंग ऑफिसर फ्रांस के पायलट के साथ उड़ाएंगे। आरबी सीरीज के विमान को वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया के सम्मान में उड़ाया जाएगा जिन्होंने 36 राफेल विमान के सौदे में अहम भूमिका निभाई थी। 
 
फ्रांसीसी राजदूत इमैनुएल लेनिन ने एक ट्वीट में भारत को आश्वासन दिया है कि भारतीय वायुसेना के लिए अब राफेल विमानों की आपूर्ति में देरी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि राफेल जेट के बारे में भारत के साथ हुए अनुबंध का अब तक पूरी तरह से सम्मान किया गया है। अनुबंध के अनुसार ही फ्रांस में अप्रैल के अंत में एक राफेल जेट भारतीय वायु सेना को सौंप दिया गया था। हम फ्रांस से भारत को पहले चार राफेल भेजने के लिए जल्द से जल्द व्यवस्था कर रहे हैं। यह विमान कई शक्तिशाली हथियारों को ले जाने में सक्षम है। यह उल्का बीवीआर एयर-टू-एयर मिसाइल (बीवीआरएएएम) की अगली पीढ़ी है जिसे एयर-टू-एयर कॉम्बैट में क्रांति लाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। मिसाइल प्रणालियों के अलावा विभिन्न विशिष्ट संशोधनों के साथ राफेल जेट भारत आएंगे, जिसमें इजरायल हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले, रडार चेतावनी रिसीवर, कम बैंड जैमर, 10 घंटे की उड़ान डेटा रिकॉर्डिंग, इन्फ्रा-रेड सर्च और ट्रैकिंग सिस्टम शामिल हैं। इसमें परमाणु बम गिराने की भी ताकत है। एक मिनट में विमान के दोनों तरफ से 30 एमएम की तोप से 2500 राउंड गोले दागे जा सकते हैं।
 
सूत्रों ने बताया कि फ्रांसीसी वायु सेना के टैंकर विमान से इन लड़ाकू विमानों में हवा में ही ईंधन भरा जाएगा। विमान मिडिल ईस्ट में किसी जगह पर उतरेंगे। मिडिल ईस्ट से आते वक्त भारत में उतरने से पहले विमान में भारतीय आईएल-78 टैंकर द्वारा फिर से हवा में ईंधन भरा जाएगा। सूत्रों का कहना है कि राफेल सीधे फ्रांस से भारत आ सकता था लेकिन एक छोटे से कॉकपिट के अंदर 10 घंटे की उड़ान तनावपूर्ण हो सकती है। भारतीय पायलटों के पहले बैच ने फ्रेंच एयरबेस में अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। दोनों देशों में लॉकडाउन के नियमों में ढील दिए जाने के बाद पायलटों के दूसरे बैच को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा। लॉकडाउन के बाद भारत को फ्रांस से उपकरणों की पहली खेप तब मिली जब एक मालवाहक विमान पिछले हफ्ते दिल्ली में उतरा था। आने वाले समय में और उपकरण भारत पहुंचेंगे।  
 
भारत सरकार ने सितम्बर, 2016 में लगभग 58,000 करोड़ रुपये की लागत से 36 राफेल लड़ाकू जेट की खरीद के लिए फ्रांस के साथ एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। भारतीय वायु सेना ने फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन से अपना पहला ‘स्वीकृत’ राफेल लड़ाकू विमान 20 सितम्बर को हासिल किया था। इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भारतीय वायु सेना की टीम के साथ पहला राफेल विमान लेने के लिए 8 अक्टूबर को फ्रांस गए थे। उन्होंने वहां पहले विमान की पूजा-अर्चना भी की थी। वायुसेना ने अम्बाला में अपनी ‘गोल्डन ऐरोज’ 17 स्क्वॉड्रन फिर शुरू कर दी है, जो बहुप्रतिक्षित राफेल लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पहली इकाई होगी। राफेल की दूसरी स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल के हासीमारा केंद्र में तैनात होगी। लड़ाकू विमान राफेल के पहले दस्ते को अंबाला वायु सेना केंद्र में तैनात किया जाएगा, जिसे वायु सेना के रणनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण केंद्रों में गिना जाता है, क्योंकि यहां से भारत-पाकिस्तान सीमा करीब 220 किलोमीटर है। 
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