कुलाधिपति डॉ महेश शर्मा ने खोली मोर्चा, केविवि कुलपति हो सकते है पदमुक्त

कुलाधिपति डॉ महेश शर्मा ने खोली मोर्चा, केविवि कुलपति हो सकते है पदमुक्त

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सागर सूरज@ बीएनएम मोतिहारी: आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता एवं प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास के सहोदर भाई एवं महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के कुलपति डॉ संजीव कुमार शर्मा जल्द ही पदमुक्त हो सकते है। इस विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति अरविन्द अग्रवाल को भी मानव संसाधन विभाग ने पदमुक्त कर दिया था। संजीव कुमार […]

सागर सूरज@ बीएनएम

मोतिहारी: आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता एवं प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास के सहोदर भाई एवं महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के कुलपति डॉ संजीव कुमार शर्मा जल्द ही पदमुक्त हो सकते है। इस विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति अरविन्द अग्रवाल को भी मानव संसाधन विभाग ने पदमुक्त कर दिया था। संजीव कुमार शर्मा पर वे सारे आरोप है, जो आरोप अग्रवाल पर लगे थे।

इसके मुत्तलिक केविवि के कुलाधिपति डॉ महेश शर्मा ने राष्ट्रपति को एक पत्र लिखकर कुलपति पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए आरोपों की जाँच होने तक कुलपति को छुट्टी पर भेजने की अनुशंसा की है।

CHANCELLOR DR MAHESH SHARMA AND VICE CHANCELLOR DR SANJEEV SHARMA

 हालांकि कुलाधिपति ने उक्त पत्र को 11 मई, 2020 को भेजा था, जिसका पुनः रिमाइंडर भेजते हुये कुलाधिपति ने राष्ट्रपति से इस केन्द्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के कुलपति के मामले में केन्द्रीय विश्वविद्यालय कानून के तहत कार्रवाई करने की बात कही है। दो पन्ने की इस अनुशंसा पत्र में कुलाधिपति ने प्रशासनिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक मामलों को लेकर कुलपति को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि कुलपति संजीव कुमार शैक्षणिक पदों पर नियुक्ति में ना केवल नियमों की अवहेलना किये है बल्कि कार्यकारी परिषद् एवं अधिशासी परिषद् के निर्णयों की भी घोर अवहेलना करते हुए विश्वविद्यालय एक्ट एवं मानव संसाधन मंत्रालय के आदेशों का भी उल्लंघन किया है।

उन्होंने कहा है कि विश्वसनीय प्रमाणों के आधार पर पिछले एक वर्षो से कुलपति के विरुद्ध दर्जनों आवेदन पत्र प्रस्तुत किये गये, जिसमे अन्य आरोपों के अलावा गाँधी स्टडीज में गलत ढंग से नियुक्ति पर कई सवाल पैदा किये गए, परन्तु आश्चर्यजनक ढंग से मानव संसाधन विभाग ने मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की। कुलपति आदतन झूठे है एवं अल्कोहल एवं अन्य गन्दी आदतों के शौकीन भी है। कुलपति ने महात्मा गाँधी- 150 महोत्सव को लेकर दिए गए निर्देशों की भी घोर अवहेलना की। ऐसा लगता है कि विश्वविद्यालय पूरी तरह ‘ऐडहॉक’ के रूप में व्यक्तिगत फायदों को ध्यान में रखकर चलाया जा रहा है। कुलपति के ओएसडी प्रशासनिक एवं आर्थिक मामलों को देखते है, ताकि कुलपति की सुविधाओं का ख्याल रखा जा सके।

कुलाधिपति ने कहा कि एक नियमित उप-कुलपति को मनमाने ढंग से सिर्फ इसलिय हटा दिया गया ताकि नियमों का हवाला देकर कुलपति के कार्यों में कोई व्यावधान नहीं पैदा कर सके।

 सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एवं प्रसिद्द आरटीआई कार्यकर्ता संदीप पहल ने बताया कि विधान पार्षद केदार नाथ पाण्डेय, मत्री प्रमोद कुमार, केद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और सांसद अरुण कुमार सहित दर्जनों लोगों के कई आवेदन जाँच हेतु भेजे गए लेकिन कुलपति के कवि भाई के राजनितिक दबाव के कारण अब तक कोई भी विशेष कार्रवाई नहीं हो सकी।   

अखिल भारतीय विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ के सचिव सह दरभंगा शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के उम्मीदवार प्रोफेसर अरुण कुमार भी संजीव शर्मा के कुलपति पद पर हुई फर्जी नियुक्ति सहित तमाम भ्रष्टाचार पर करवाई करने के लिए राष्ट्रपति और मानव संसाधन विभाग को शिकायत भेज चुके हैं।

मोतिहारी के सामाजिक कार्यकर्ता आलोक राज ने बताया कि कुछ दिन पूर्व विश्वविद्यालय के एक एसोसिएट प्रोफेसर के घर पर रात 1 बजे विश्वविद्यालय के वाहन से करीब 10 फाइलें उतारी गई है। आशंका है कि विश्वविद्यालय प्रशासन नियुक्ति, फाइनेंशियल इत्यदि की फाइलें गायब करने या सबूत को मिटाने के चक्कर मे है। इधर कुलपति ने 22 मई को होने वाले कार्यकारी परिषद् की बैठक को स्थगित कर दिया है। इस मीटिंग में अवैध नियुक्तियों के अनुमोदन का प्रयास हो सकता था। उधर एक खबर के अनुसार मानव संसाधन विभाग के सचिव अमित खरे ने एक आवश्यक बैठक के माध्यम से कुलाधिपति के पत्र पर गहन विचार-विमर्श किया ।   

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