ना प्राथमिकी, ना आवेदन फिर भी थाने में रखा तीन दिन

ना प्राथमिकी, ना आवेदन फिर भी थाने में रखा तीन दिन

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सागर सूरज @बीएनएम मोतिहारी: एक तरफ पूर्वी चंपारण के आरक्षी अधीक्षक नवीन चन्द्र झा अपराध एवं अपराधियों के मामले में त्वरित कार्रवाई कर इस मामले में अपना जीरो टोलेरेंस प्रदर्शित कर रहे है वही इनके कुछ अधिकारी ही कानून को हांथ में लेने से बाज नही आ रहे है, हलाकि आरक्षी अधीक्षक ने कर्तब्यहीनता के […]

सागर सूरज @बीएनएम

मोतिहारी: एक तरफ पूर्वी चंपारण के आरक्षी अधीक्षक नवीन चन्द्र झा अपराध एवं अपराधियों के मामले में त्वरित कार्रवाई कर इस मामले में अपना जीरो टोलेरेंस प्रदर्शित कर रहे है वही इनके कुछ अधिकारी ही कानून को हांथ में लेने से बाज नही आ रहे है, हलाकि आरक्षी अधीक्षक ने कर्तब्यहीनता के मामले में जिले के कई अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई भी की है।

ताज़ा मामला संग्रामपुर के थानाप्रभारी महेंद्र प्रसाद से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने महिला पुरुष सहित कई लोगों को बिना किसी आरोप एवं आवेदन के तीन दिनों तक थाने में बंद रखा। इस बीच पीड़ित परिवार के लोग आरक्षी उपाधीक्षक ज्योति प्रकाश को भी फोन किया। आरोप है कि डीएसपी ने भी कई बार थाने को फोन किया कि गिरफ्तार किये गये लोगों को छोड़ दे बावजूद इसके थानाध्यक्ष इन लोगों को नहीं छोड़ा।

बताया गया कि अंत में डीएसपी प्रकाश एवं केसरिया विधायक राजेश कुमार थाने पर गये तब जाकर इन लोगों को 13 जून को छोड़ा गया जबकि सबको एक ऐसे मामले में गिरफ्तार किया गया जिस मामले में ना तो खबर लिखे जाने तक कोई प्राथमिकी दर्ज है और ना ही किसी दुसरे मामले में इन लोगों का नाम ही आया है।

पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पाण्डेय को भेजे एक पत्र में संग्रामपुर थाने के दरियापुर गाँव के वार्ड न. 5 के निवासी जरीना खातून पति तौकिल खान ने आरोप लगाया कि संग्रामपुर थाने के थाना प्रभारी महेंद्र प्रसाद ने उनके दामाद मधुबनी निवासी आबिद खान, मोती खान सहित मेरे कई संबंधियों को 10 जून को अपने थाने में बंद कर दिया और तीन दिनों के बाद मोटी रकम के बदले में उन लोगों को छोड़ा गया। उन्होंने कहा थाने के सीसीटीवी फुटेज में रात्रि के फुटेज को देखने से मामला स्पष्ट हो जायेगा। हमारे संबंधियों को गाँव के ही कुछ लोग पहले अपहरण कर अपने घरों में बंद रखे उसके बाद मुक़दमे से बचने के लिए थाने को मेल में लेकर सबको थाने के हवाले कर दिया। अपहरण का मुकदमा करने गये तो सबको थाना-प्रभारी ने भगा दिया।

इधर थानाध्यक्ष महेंद्र प्रसाद से जब बात हुई तो उन्होंने कहा इनलोगों पर लड़की भगाने का आरोप था, 10 घंटे पूछ-ताछ के बाद सबको छोड़ दिया गया। कुछ लोग इनलोगों को पकड़ कर थाने को सुपुर्द किये थे। इस मामले में आरक्षी उपाधीक्षक ज्योति प्रकाश से जब बॉर्डर न्यूज़ मिरर ने बात की तो उन्होंने बताया कि पीड़ित परिवार के लोग चाहे तो मुझे आवेदन दे सकते है, प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।

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