बीपीपा के संस्थापक अध्यक्ष व पूर्व सांसद आनंद मोहन को रिहा करे सरकार

बीपीपा के संस्थापक अध्यक्ष व पूर्व सांसद आनंद मोहन को रिहा करे सरकार

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आरा। देश मेंं असमय चुनाव को रोकने के लिए शंकर सिंह बाघेला की राष्ट्रीय जनता पार्टी को मिनटों में छोड़ने का फैसला लेकर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को बिना शर्त समर्थन करने वाले बिहार के शिवहर से लोकसभा के तत्कालीन सांसद आनंद मोहन आज एनडीए के लिए बेगाने बन गए हैं और […]
आरा। देश मेंं असमय चुनाव को रोकने के लिए शंकर सिंह बाघेला की राष्ट्रीय जनता पार्टी को मिनटों में छोड़ने का फैसला लेकर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को बिना शर्त समर्थन करने वाले बिहार के शिवहर से लोकसभा के तत्कालीन सांसद आनंद मोहन आज एनडीए के लिए बेगाने बन गए हैं और तब अटल बिहारी वाजपेयी का विरोध कर एक वोट से केंद्र की सरकार गिराने और देश को असमय चुनाव में झोंक देने वाले लोजपा प्रमुख राम विलास पासवान केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने हुए हैं।
पूर्व सांसद आनंद मोहन अपनी बिहार पीपुल्स पार्टी के साथ एनडीए के सशक्त घटक दल थे और तब उनके राज्य भर के समर्थकों का सीधा लाभ भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए को मिलता रहा है। पूर्व सांसद आनंद मोहन की बेवाक बातें,सत्य की राह और अन्याय का विरोध भाजपा और समता पार्टी के नेताओ को खलने लगा था और यही वजह है कि बिहार में सरकार बनने के बाद आनंद मोहन को राजनैतिक रूप से घेरने की कोशिशें हुई। 
विगत 14 वर्षों से बिहार की सहरसा जेल में बन्द आनंद मोहन की रिहाई को लेकर राज्य भर में समर्थकोंं का आंदोलन जारी है। पिछले दिनों नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर दस हजार युवकों ने आनंद मोहन की रिहाई को लेकर प्रदर्शन किया था। 
बिहार में न्याय मार्च के बाद राजधानी पटना से भी समर्थको ने पूर्व सांसद की रिहाई की आवाज उठाई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आनंद मोहन के समर्थकोंं की भावना और जोश को समझ रहे हैं और उन्होंने एक सम्मेलन के दौरान खुल्ले मंच से कहा था कि आनंद मोहन हमारे पुराने साथी हैं और आपसे कम चिंता मुझे नही है। एक तरह से समर्थको के बीच उन्होंने संकेत दिया था कि राज्य सरकार उनकी रिहाई पर विचार कर रही है। बावजूद इसके मुख्यमंत्री के संकेत के महीनों बीत जाने के बावजूद इस दिशा में समर्थकों के बीच आनंद मोहन के रिहाई को ले किसी तरह की हलचल नही दिखाई देने से चिंता बढ़ने लगी है। समर्थको ने अब पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई को ले एकबार फिर बिहार में आंदोलन तेज करने का विचार किया है। सूत्र बताते हैं कि जल्द ही बिहार विधान सभा के भी चुनाव होने वाले हैं और अगर राज्य सरकार आनंद मोहन की रिहाई करने में देर करती है तो बिहार पीपुल्स पार्टी का फिर से गठन किया जा सकता है और बिहार की कई सीटों पर समर्थक चुनाव लड़ सकते हैं।
अगर ऐसा हुआ तो राजनैतिक रूप से एनडीए को क्षति उठानी पड़ सकती है। पूर्व सांसद आनंद मोहन के करीबी सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि हम अपने नेता की रिहाई का इंतजार कर रहे हैं। 
भोजपुर के संदेश विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी विजेन्द्र सिंह ने कहा कि पूर्व सांसद आनंद मोहन के निर्देश पर गत लोकसभा चुनाव में पूर्व सांसद लवली आनंद ने चुनाव लड़ने के फैसले को टाल दिया और पूरे बिहार में समर्थन कर नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए कई कई लोकसभा क्षेत्रो का तूफानी दौरा किया। 
पूर्व सांसद लवली आनंद के समर्थन का लाभ सीधे तौर पर कोशी के अलावे बिहार की कई सीटों पर भाजपा और सहयोगी दलों को मिला और इन सीटों पर शानदार जीत भी हुई। अब समर्थक आनंद मोहन की रिहाई के लिए बेताब हैं। 
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