ढाका। चीन भारत को घेरने के लिए बांग्लादेश को ऋण एवं आर्थिक सहयोग देने की रणनीति पर काम कर रहा है। बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी जातीय पार्टी के महासचिव एवं प्रधानमंत्री शेख हसीना के भूतपूर्व सलाहकार जियाउद्दीन अहमद (बबलू) ने बहुभाषी न्यूज़ एजेंसी ‘हिन्दुस्थान समाचार’ को दिए विशेष साक्षात्कार में यह दावा किया है। बांग्लादेश […]
ढाका। चीन भारत को घेरने के लिए बांग्लादेश को ऋण एवं आर्थिक सहयोग देने की रणनीति पर काम कर रहा है। बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी जातीय पार्टी के महासचिव एवं प्रधानमंत्री शेख हसीना के भूतपूर्व सलाहकार जियाउद्दीन अहमद (बबलू) ने बहुभाषी न्यूज़ एजेंसी ‘हिन्दुस्थान समाचार’ को दिए विशेष साक्षात्कार में यह दावा किया है।
बांग्लादेश के ऊर्जा मंत्री रह चुके जियाउद्दीन अहमद ने कहा, “चीन हमारे विकास में भागीदार है, लेकिन उसके जाल में फंसना सही नहीं होगा क्योंकि, चीन भारत को घेरने की रणनीति के तहत बांग्लादेश को ऋण एवं आर्थिक सहायता दे रहा है। उदाहरण के लिए चीन बांग्लादेश को ॠण देकर एक के बाद एक अत्याधुनिक सैन्य उपकरण खरीदने को प्रेरित कर रहा है जिसमें पनडुब्बी और युद्धक विमान भी शामिल हैं। सोचने की बात यह है कि चीन का यह कर्ज बांग्लादेश के आम आदमी की गाढ़ी कमाई से चुकाना पड़ेगा। प्रस्तुत है हिन्दुस्थान समाचार संवाददाता किशोर सरकार से ज़ियाउद्दीन अहमद की बातचीत के प्रमुख अंश:-
बांग्लादेश-भारत संबंधों के बारे में आपकी क्या राय है?
हमारा भारत के साथ एक ऐतिहासिक और बहुत घनिष्ठ संबंध है। हमारे बीच दिल का रिश्ता है। यदि भारत ने एक सहयोगी के रूप में स्वतंत्रता संग्राम में सीधे भाग नहीं लिया होता, तो हम बांग्लादेश को आजादी नहीं दिला पाते। भारतीय सेना ने पाक हमलावरों के खिलाफ सीधे युद्ध में भाग लेकर कुर्बानी दी है। भारत ने मुक्ति योद्धाओं के लिए हथियार, प्रशिक्षण के साथ साथ अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से समर्थन हासिल करने के लिए कूटनीतिक प्रयास भी किए थे। भारत का यह रक्त ऋण बांग्लादेशियों के दिलों में युगों तक रहेगा। भावी पीढ़ियों तक भारत के योगदान को पहुंचाने की जिम्मेदारी हमारी है।
आप बांग्लादेश के विकास में चीन के निवेश को कैसे देखते हैं?
यह सही है कि चीन बांग्लादेश के विकास में भागीदार है लेकिन सभी परियोजनाओं में, विश्व बैंक, एडीबी, आईडीबी, जेआईसीए और भारत से मिले ऋण की तुलना में बहुत अधिक ब्याज भी वसूल रहा है। फिर, नेपाल की तरह, बांग्लादेश में भी आधुनिकीकरण और निर्माण के नाम पर भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने लिए महत्वपूर्ण हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर कब्जा कर रहा है। मैंने सुना है कि सिलहट हवाई अड्डे पर आधुनिकीकरण के नाम पर लीज लिया है। लालमोनिरहाट हवाई अड्डे को लेने की कोशिश कर रहा है। इन दो हवाई अड्डों से हवाई मार्ग द्वारा असम सहित भारत के सात राज्यों को नियंत्रण में लेना चीन के लिये आसान हो सकता है। इसके अलावा, चीन चटगाँव के सोनादिया में एक गहरे बंदरगाह के निर्माण के लिए प्रयासरत है। पायरा समुद्री बंदरगाह में निवेश के नाम पर उच्च ब्याज पर ऋण देने की कोशिश कर रहा है। यद्यपि बांग्लादेश को पुरानी पनडुब्बी का रिनोवेशन कर आपूर्ति की गई थी लेकिन तकनीकी सहायता के नाम पर इस पर सारा नियंत्रण चीनी विशेषज्ञों के हाथों में ही है। मैंने सुना है कि बांग्लादेश के इस पनडुब्बी बेस में कई चीनी विशेषज्ञ मौजूद रहेंगे। जबकि पनडुब्बी खरीद समझौते में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। ऐसा लगता है कि चीन बांग्लादेश की धरती से ही भारत के खिलाफ युद्ध का संचालन करना चाहता है।
हम विकास के पक्ष में हैं, हालांकि, चीन बांग्लादेश को विकास परियोजनाओं के लिए ऋण देकर अपने नियंत्रण में करना चाहता है। आज की पूंजीवादी दुनिया में, पैसा ही सब कुछ है। चीन इस मौके का फायदा उठाकर हमारी पहचान को मारने की कोशिश कर रहा है। क्या हम चीन से हथियार खरीदेंगे और भारत से लड़ेंगे? हमारी पार्टी इस आर्थिक आक्रामकता के माध्यम से चीन के राजनैतिक प्रभाव विस्तार का विरोध करती है।
इतने हथियार खरीदने के बावजूद रोहिंग्याओं को यातना से बचाने के लिए बांग्लादेश म्यांमार पर सैन्य दबाव बढ़ाने में क्यों विफल रहा?
यह दुखद है। चीन ने म्यांमार और बांग्लादेश दोनों को पनडुब्बियां बेच दी हैं। चीन एके-47 रायफल सहित सभी सैन्य उपकरण म्यांमार को बेचता है। हमें पुराना हथियार बेचता है। वह म्यांमार में विभिन्न विद्रोही गुटों को भी हथियार बेचता हैं। दरअसल चीन अपने हथियार बेचने के लिए इस क्षेत्र में हालात अस्थिर बनाना चाहता है। मैं प्रधान मंत्री को धन्यवाद देना चाहूंगा कि बांग्लादेश चीन के इस चाल में नहीं फंसा।
क्या भारत-बांग्लादेश के बीच हुए छिटमहल समझौता भारत-चीन सीमांत विवाद के समाधान की राह दिखा सकता है?
1974 में राष्ट्रवादी बंगबंधु ने भारत के साथ छिटमहल समस्या के समाधान के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। यह खुशी की बात है कि उन्हीं की सुपुत्री जननेत्री शेख हसीना के प्रधानमंत्री रहते छीटमहल की समस्या का समाधान हो गया। हमारी पार्टी की ओर से मैं इसके लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं भारतीय संसद में उन सभी दलों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने इससे संबंधित विधेयक का समर्थन किया।
आप कश्मीर में लद्दाख सीमा पर चीन की आक्रामक नीति को कैसे देखते हैं?
दूसरे विश्व युद्ध के बाद, सभी देश इस बात पर सहमत हुए कि सीमा विवाद को बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए। लेकिन चीन ने ऐसा किए बिना संयुक्त राष्ट्र की सीमा नीति के विपरीत काम किया है। हमारी पार्टी ऐसी आक्रामक नीति का समर्थन नहीं करती है। किसी भी परिस्थिति में चीन को अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। हमें उम्मीद है कि चीन बातचीत के जरिए भारत के साथ सीमा विवाद सुलझाएगा।
आप बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्षता के उन्मूलन को कैसे देखते हैं जो एक धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना के लिए युद्ध लड़कर स्वतंत्र हुआ है?
राष्ट्रवादी बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद, जनरल जिया ने सत्ता पर कब्जा कर लिया और देश में भारत विरोधी और पाकिस्तान पंथी इस्लामी विचारधारा का प्रचार शुरू कर दिया। शराब का लाइसेंस भी जियाउर्रहमान ने दिया था। इस्लाम में धर्मनिरपेक्षता है। सभी धर्मों को समान अधिकार प्राप्त है। जातिय पार्टी के संस्थापक, पूर्व राष्ट्रपति, दिवंगत हुसैन मोहम्मद इरशाद ने सभी धर्मों के लोगों के बीच भाईचारा स्थापित करने के उद्देश्य से ही इस्लाम को राष्ट्र धर्म बनाया ना कि किसी को उपेक्षित या वंचित करने के लिए। अन्यथा, सत्ता उन लोगों के पास चली जाती, जिन्होंने इस्लाम के नाम पर जियाउर्रहमान को उकसाया। 2001 की बीएनपी सरकार के दौरान, देश में उग्रवाद और बमबारी का प्रसार था। अल्पसंख्यक हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों को आतंकवादियों द्वारा सताया गया था। हमें यह याद रखना चाहिए कि आतंकवादी किसी संप्रदाय के नहीं होते।
क्या इस्लामिक दलों के साथ एक बड़ा गठबंधन बनाने की योजना है?
जातीय पार्टी आधुनिक इस्लामी विचारधारा में विश्वास करती है। पार्टी का इस्लामिक पार्टियों के साथ गठबंधन है। बीएनपी-जमात वर्तमान में इस्लाम विरोधी दलों के साथ एक बड़ा गठबंधन बनाने की प्रक्रिया में है। 2008 के चुनावों में हमने बीएनपी-जमात के हाथों से देश को बचाने के लिए अवामी लीग के साथ गठबंधन किया, लेकिन उसके बाद जातिय पार्टी ने अलग चुनाव लड़ा। हालांकि, वर्तमान में हम रचनात्मक विरोध के माध्यम से संसद में विरोधी पार्टी की भूमिका निभा रहे हैं।
क्या चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न को रोकने के लिए आपकी पार्टी कोई कदम उठाएगी?
मैं मुस्लिम-मुस्लिम भाई कहूंगा, और अगर चीन में मुसलमानों को सताया जाता है, तो मैं चुप रहूंगा, ऐसा नहीं हो सकता। पार्टी की ओर से, हम दुनिया के सभी शांतिप्रिय लोगों से चीन पर दबाव बनाने की अपील करते हैं ताकि वे उन्हें प्रताड़ित करना बंद कर सकें। इसके अलावा, मैं बांग्लादेश सरकार से उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र को एक लिखित पत्र भेजने का अनुरोध कर रहा हूं।
Related Posts
Post Comment
राशिफल
Live Cricket
Recent News
बिगनी मलाहीन: लाशों की ढेर पर कोई घड़ियाली आँशु बहा रहा है,,,,,
21 Mar 2024 19:59:59
अपराध वही, भ्रष्टाचार वही, एक भी उद्योग नहीं, एक चीनी मिल था वो भी बंद हो गया | हा- अपहरण...
Comments