सेना को स्वदेशी कार्बाइन मिलने का रास्ता साफ

सेना को स्वदेशी कार्बाइन मिलने का रास्ता साफ

Reported By BORDER NEWS MIRROR
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​नई दिल्ली। ​​अब भारतीय सेना को स्वदेशी कार्बाइन मिलने का रास्ता साफ हो गया है​। ​​डीआरडीओ ​की देखरेख में विकसित ​​5.56×30 मिमी की​ ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव ​​कार्बाइन (जेवीपीसी) सभी तरह के परीक्षण में पूरी तरह खरी उतरी है​। गर्मियों में अत्यधिक तापमान की स्थिति ​में पहले ही टेस्ट किया जा चुका था और अब उपयोगकर्ता ​​परीक्षणों की श्रृंखला ​का अंतिम ​टेस्ट सर्दियों में उच्च ऊंचाई पर किया गया है​​।​ […]
नई दिल्ली। ​​अब भारतीय सेना को स्वदेशी कार्बाइन मिलने का रास्ता साफ हो गया है। डीआरडीओ ​की देखरेख में विकसित ​​5.56×30 मिमी की​ ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव ​​कार्बाइन (जेवीपीसी) सभी तरह के परीक्षण में पूरी तरह खरी उतरी है। गर्मियों में अत्यधिक तापमान की स्थिति ​में पहले ही टेस्ट किया जा चुका था और अब उपयोगकर्ता ​​परीक्षणों की श्रृंखला ​का अंतिम ​टेस्ट सर्दियों में उच्च ऊंचाई पर किया गया है​​​ ​यानि सेना में शामिल होने के बाद इसे सभी मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है।         ​  
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​​​​ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन को ​2014 के बाद से बदले नाम ‘मॉडर्न सब मशीन कार्बाइन​’ के रूप में भी जाना जाता है​​​ डीआरडीओ की पुणे स्थित प्रयोगशाला,​ आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (​एआरडीई)​ द्वारा डिजाइन की गई ​यह ​स्वदेशी ​​सब​ ​मशीन गन है​​​इसका निर्माण ​डीआरडीओ​ की देखरेख में ​​आयुध निर्माणी बोर्ड ​की ​स्माल आर्म्स फैक्टरी, कानपुर और आयुध​ ​निर्माणी तिरुचिरापल्ली में ​किया गया है।​​ आयुध निर्माणी बोर्ड​ ने ​इससे पहले सेना के लिये ​​​​इंसास ​राइफलों का निर्माण किया था जिसका इस्तेमाल भारतीय सशस्त्र बल​ कर रहे हैं​ इनमें कई कमियां होने से सशस्त्र बलों की आंशिक जरूरतें ही पू​​री हो पा रही थीं। ​​इन कमियों को सुधार​ते हुए भारतीय सेना के लिए 5.56×30 मिमी की​ ​​ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव ​​कार्बाइन (सबमशीन गन​)​​ ​​विकसित की गई है
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विभिन्न परीक्षणों और सुधारों के माध्यम से​ इसकी ग्रिप-फीडिंग​ ठीक की गई और इजराइली कार्बाइन की तरह लंबाई ​भी छोटी कर दी गई जिससे ​अब इससे ​करीब से ​निशाना लगाना आसान हो गया। बाद में इस​की निर्यात क्षमता बढ़ाते हुए इसके एर्गोनॉमिक्स में ​भी ​सुधार किया गया। ​​ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव ​​कार्बाइन (​​​​सबमशीन ​​गन​​) ​अब बुलेट प्रूफ जैकेट को ​भी ​भेदने में सक्षम है।​ सभी सुधारों के बाद रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के अधीन कार्य ​करने वाले गुण​वत्ता आश्‍वासन महानिदेशालय​ ​(डीजीक्यूए​)​ ​ने परीक्षणों ​का दौर शुरू किया जिसमें जेवीपीसी ने विश्वसनीयता और सटीकता के कड़े प्रदर्शन मानदंडों को सफलतापूर्वक पूरा किया है।​​ गृह मंत्रालय ​भी परीक्षण कर चुका है ​जिसके बाद सीएपीएफ और विभिन्न राज्य पुलिस संगठनों ​ने इसकी खरीद ​भी शुरू ​कर दी है।​
 
मॉडर्न सब मशीन कार्बाइन​ की खासियत​
​1. यह गैस ऑपरेटेड सेमी बुल-प्यूप ऑटोमैटिक हथियार है, जिसमें 700 आरपीएम दर से अधिक अग्नि होती है​​। ​​
​2. कार्बाइन की ​मारक क्षमता 100 मीटर से अधिक है और इसका वजन लगभग 3.0 किलोग्राम है
​3. एर्गोनोमिक डिजाइन होने से एक ही हाथ से फायरिंग क्षमता और एक साथ कई फायर किये जा सकते हैं।​
​​4. जवाबी हमले और काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन के लिए बहुत ही शक्तिशाली हथियार ​​हैं।
​5. इंसास ​राइफलों का नया वर्जन सब मशीन​ गन ​अब बुलेट प्रूफ जैकेट को ​भी ​भेदने में सक्षम
 
​डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. सतीश रेड्डी ने डीआरडीओ टीम, उपयोगकर्ता टीम और विनिर्माण में शामिल सभी सार्वजनिक और निजी एजेंसियों को इस मील के पत्थर तक सफलतापूर्वक पहुंचने के लिए बधाई दी है।

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