बिहार में विधि मंत्री के खिलाफ जारी वारंट पर सियासी पारा गरम, विपक्ष हमलावर

बिहार में विधि मंत्री के खिलाफ जारी वारंट पर सियासी पारा गरम, विपक्ष हमलावर

Reported By BORDER NEWS MIRROR
Updated By BORDER NEWS MIRROR
On

 

पटना। अपहरण मामले में बिहार के नए कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह के खिलाफ कोर्ट से जारी वारंट को लेकर सियासी पारा गरम है।

 

 download 212

 

राज्य का विपक्षी दल इस मामले को लेकर नीतीश सरकार पर हमलावर हो गया है। भाजपा ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बुधवार को राजद नेता और एमएलसी कार्तिकेय सिंह को राज्य का कानून मंत्री बनाए जाने पर सवाल किया है।

 

भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि नीतीश कुमार सरकार की मंत्रिपरिषद बेहद भयानक तस्वीर पेश कर रही है।

 

एक व्यक्ति के इस तथ्य को कैसे छिपाया गया कि वह अपहरण के मामले में वांछित है और उसने बिहार के कानून मंत्री के रूप में शपथ ली ? नीतीश कुमार का राजद के दबाव में झुकना बेहद शर्मनाक है।

 

अपने मंत्री के वांछित होने की बात पर आज सीएम नीतीश ने कहा कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। मीडिया के लोगों के माध्यम से ही पता चल रहा है।

 

इन आरोप-प्रत्यारोप के बीच कार्तिकेय सिंह ने कहा कि एमएलसी बनने से पहले हलफनामे में इस मामले का विधिवत उल्लेख किया है। इस बीच 12 अगस्त को दानापुर की अतिरिक्त एवं जिला सत्र अदालत ने मोकामा पुलिस को एक सितंबर तक उसे गिरफ्तार नहीं करने का आदेश दिया था।

 

मोकामा थाना प्रभारी गजेंद्र सिंह ने इस बाबत बताया कि मामले में जांच अधिकारी की ओर से चूक हुई है। हम उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर रहे हैं।

 

उल्लेखनीय है कि अपहरण मामले में राष्ट्रीय जनता दल के एमएलसी कार्तिकेय सिंह के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट लंबित है, जिसमें मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह सहित 16 अन्य को भी आरोपित बनाया गया है।

 

कार्तिकेय सिंह को 16 अगस्त को दानापुर की एक अदालत में आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया था। इसी दिन उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली थी।

 

बिहटा पुलिस ने कार्तिकेय सिंह पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था, जिसमें 363 (अपहरण), 364 (हत्या के इरादे से अपहरण), और 365 (कैद के इरादे से गुप्त, अनुचित अपहरण) शामिल हैं।

 

दानापुर की एक अदालत ने इस साल 14 जुलाई को कार्तिकेय सिंह के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था और मोकामा पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने का निर्देश दिया था।

 

आदेश की एक प्रति पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी भेजी गई है। मामले में बिहटा पुलिस पहले ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।

 

19 फरवरी को प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के कोर्ट नंबर पांच ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। पटना उच्च न्यायालय ने 2017 में उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

 

उल्लेखनीय है कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम करने वाले तीन मंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते इस्तीफा देना पड़ चुका है।

 

एससी/एसटी मंत्री जीतन राम मांझी को जहां शिक्षा घोटाले के आरोपों के बाद शपथ लेने के दो दिनों के भीतर इस्तीफा देना पड़ा था, वहीं 2011 में एक पुराने मामले में फरार पाए जाने के बाद भाजपा नेता और सहकारिता मंत्री रामधर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा था।

 

इसके बाद 2020 में जद (यू) नेता और शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी को एक कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद इस्तीफा देना पड़ा था।

 

Related Posts

Post Comment

Comments

राशिफल

Live Cricket

Recent News

Epaper

मौसम

NEW DELHI WEATHER