सात निश्चय के नाम पर खर्च 35 हज़ार करोड़ की राशी का अभी तक ऑडिट तक नहीं, वारा न्यारा का आरोप
नए बीपीआरओं को ज्वाइन करने से पूर्व BDO फर्जी बिलों के सहारे कर रहे है राशियों का गबन
मोतिहारी : मार्च क्लोजिंग और नये प्रखंड पंचायत पदाधिकारी के जोईनिंग से पूर्व बिहार भर के प्रखंड विकास पदाधिकारी छठे वित् आयोग के रुपयों के लूट में लग गए है | अकेले रोह्तास के बीडीओ दो करोड़ खर्च के खर्च का बिल एक माह में जारी कर दिए है |
इन सभी प्रखंडों में जल्द ही नव नियुक्त प्रखंड पंचायत पदाधिकारी अपने प्रशिक्षण के बाद ज्वाइन करने वाले है और फिर बीडीओ नये नियम के अनुसार पंचायत के इन राशियों को खर्च नहीं कर सकते है |
अब सात निश्चय यजना में बिहार और केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही इन राशियों को अकेले प्रखंड पंचायत पदाधिकारी को खर्च करने का अधिकार होगा यानी इस मलाई से प्रखंड विकास पदाधिकारी हमेशा के लिए बंचित हो गए | अब इस अधिकार को वापस पाने के लिए बीडीओ विधान सभा तक आवाज़ उठा रहे है ताकि उनके भ्रष्टाचार का खेल जारी रहे |
हालाँकि, अब इसी भ्रष्टाचार के खेल में बीपीआरओं भी शामिल हो सकते है, लेकिन वे थोड़ा डरें रहेंगे क्योकि नए है | ऐसे में कार्यों की गुणवता तो बढ़ेगी ही |
सनद रहे कि राज्य के ज्यादातर प्रखंडों में बीपीआरओ का पद खाली है, नवनियुक्त बीपीआरओ जल्द ज्वाइन करने वाले है, ऐसे में फर्जी बिल के सहारे ये लूट पूर्वी चम्पारण सहित सभी जिलों में बदस्तूर जारी है | प्रखंड पंचायत पदाधिकारी को कार्यपालक पदाधिकारी का भी पद हासिल है, ऐसे में वित्तीय अधिकार भी उन्हीं के पास आ गयी है |
केंद्र सरकार की पंद्रहवीं वित् आयोग ने राशी भेजनी रोक दी है, क्योकि अभी तक राज्य के किसी भी जिले से उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है | प्रखंडों में इस मद के बची हुई राशी को खर्च करने का भी आदेश दिया गया है | इस तरह राज्य के तक़रीबन 35 हज़ारकरोड़ रुपयें का अभी तक ऑडिट तक नहीं हुआ है | यही कारण है कि केंद्र से राशियाँ बंद कर दी है| इसमें प.चम्पारण 1580.86 करोड़ सहित समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, मधुबनी और दरभंगा जैसे जिलों में भी एक बड़ी राशी बकाया है |
अब ऑडिट में सबसे बड़ी समस्या ये है कि सात निश्चय के ज्यादातर कार्य पंचायत प्रतिनिधियों के माध्यम से हुआ है | पंचायत प्रतिनिधि को मोटी कमीशन के बदले फण्ड तो दे दिया गया, लेकिन कार्य धरातल पर हुआ ही नहीं, और हुआ भी तो आधा अधुरा | कई वार्ड प्रतिनिधि तो आपने –अपने गाँव से दुसरे राज्य रोजी रोटी की तलाश में चले गए है तो फिर कार्यों के बारे में किससे पूछा जाए यह भी एक बड़ी समस्या है और सरकार पंचायत प्रतिनिधियों पर मुकदमा नहीं करना चाहती |
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