नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश में शोध की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों से इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 पर राज्यपालों और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र […]
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश में शोध की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों से इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 पर राज्यपालों और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र व राज्य सरकारों को रिसर्च तथा इनोवेशन में निवेश का प्रतिशत बढ़ाना होगा।
कोविंद ने कहा कि यह देखा गया है कि रिसर्च और इनोवेशन में निवेश का स्तर अमेरिका में जीडीपी का 2.8 प्रतिशत, दक्षिण कोरिया में 4.2 प्रतिशत और इज़राइल में 4.3 प्रतिशत है, जबकि भारत में यह केवल 0.7 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि शिक्षा सामाजिक न्याय के लिए सबसे प्रभावी तरीका है और इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में केंद्र और राज्यों द्वारा संयुक्त रूप से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 6 प्रतिशत निवेश करने का आह्वान करती है। एनईपी एक जीवंत लोकतांत्रिक समाज के लिए सार्वजनिक शिक्षण संस्थानों को मजबूत बनाने पर जोर देती है।
2025 तक प्राथमिक विद्यालय स्तर पर सभी बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान
एनईपी के बारे में राज्यपालों को जानकारी देते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों (एसईडीजी) को इस नीति में विभिन्न पहलों के माध्यम से प्राथमिकता दी गई है। इसमें 2025 तक प्राथमिक विद्यालय स्तर पर सभी बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान प्रदान करना शामिल है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में राज्यपालों की भूमिका अहम
राष्ट्रपति ने एनईपी को देशभर में लागू करने में राज्यपालों की भूमिका को अहम बताते हुए कहा कि राज्य विश्वविद्यालयों के चांसलर होने के नाते नई शिक्षा नीति की अनुशंसाओं को लागू में राज्यपालों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने इसके लिए राज्यपालों को अपने राज्यों में नई शिक्षा नीति को कार्यरूप देने के लिए थीम आधारित वर्चुअल सम्मेलन आयोजित करने की सलाह दी।
योग्य शिक्षकों के चयन पर होगा जोर
एनईपी में शिक्षकों की भूमिका को दोहराते हुए, राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि नई शिक्षा प्रणाली में शिक्षकों की केंद्रीय भूमिका होगी। इसमें शिक्षण के पेशे में सबसे होनहार लोगों के चयन पर जोर दिया गया है। इस दृष्टिकोण के साथ, अगले साल (2021) तक शिक्षकों की शिक्षा के लिए एक नया और व्यापक पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को परामर्शों की अभूतपूर्व और लंबी प्रक्रिया के बाद तैयार किया गया है। इसमें लगभग 675 जिलों से प्राप्त दो लाख से अधिक सुझावों को शामिल किया गया है। यह केवल एक नीतिगत दस्तावेज नहीं है, बल्कि भारत के शिक्षार्थियों एवं नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। उन्होंने कहा कि यदि बदलाव को प्रभावी ढंग से लागू किया जाता है, तो भारत एक शिक्षा महाशक्ति के रूप में उभरेगा।
2025 तक 50 प्रतिशत विद्यार्थियों को औपचारिक व्यवसायिक शिक्षा
व्यावसायिक शिक्षा के महत्व के बारे में बात करते हुए, राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि भारत में 5 प्रतिशत से कम कार्यबल ने औपचारिक व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त की है जो पश्चिमी देशों की तुलना में नाम मात्र है। इसलिए एनईपी व्यावसायिक शिक्षा को मुख्यधारा की शिक्षा का एक हिस्सा माना जाएगा। उन्होंने कहा कि स्कूल तथा हायर एजुकेशन सिस्टम में वर्ष 2025 तक कम से कम 50 प्रतिशत विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा प्रदान की जाएगी।
प्राथमिक शिक्षा का माध्यम होगी मातृभाषा
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि व्यापक रूप से यह स्वीकार किया गया है कि प्राथमिक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए और इसलिए नई नीति त्रिभाषा सूत्र को अपनाती है। इसमें भारतीय भाषाओं, कलाओं और संस्कृति को प्रोत्साहित करने का लाभ है, जो हमारे देश की एकता और अखंडता को महान भाषाई विविधता द्वारा संरक्षित करने में महत्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने कहा कि वंचित क्षेत्रों में उच्च शिक्षा के लिए वर्ष 2030 तक प्रत्येक जिले में या उसके समीप कम से कम एक बड़ा मल्टी-डिसिप्लिनरी हायर एजुकेशन इन्स्टीट्यूशन उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। इसके लिए राज्य स्तर पर अनेक कदम उठाए जाने होंगे।
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