मोतिहारी। आरोप-प्रत्यारोप, जात-पात, कल, बल और छल जैसी सारी दुर्गुणों को प्राप्त कर चुकी दुनिया की सबसे बड़ी स्वयंसेवी संस्था रेडक्रॉस का चुनाव रविवार को काफी गहमा-गहमी के साथ संपन्न हो गया।
यूं तो लड़ाई अपने-अपने पैनलों के प्रमुख डॉ आशुतोष शरण, विभूति नारायण सिंह एवं संजीव कुमार दुबे के बीच सिमट कर रह गयी है, लेकिन वोटिंग ट्रेंड और राजनीति के माहिर खिलाड़ियों की इस चुनाव में भूमिका की बात अगर मान ली जाए तो परिणाम चौकाने वाले आ सकते हैं। वैसे इस चुनाव में प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ आशुतोष शरण के कूद जाने के बाद चुनाव ना केवल रोचक हो गया, बल्कि रेडक्रॉस के कई शातिर खिलाड़ियों की प्रतिष्टा भी दांव पर लग गयी है।
एक तरफ जिले के प्रतिष्ठित वकील सह स्टेट बार कौंसिल के को-चेयरमैन राजीव द्विवेदी उर्फ पप्पू दुबे के सहोदर भाई संजीव दुबे का अचानक चुनाव मैदान में कूद पड़ना अधिवक्ता के लिए सम्मान का विषय बन गया। वहीं मेयर एवं विधायक के प्रत्याशी के रूप में देखे जाने वाले सम्मानित चिकित्सक डॉ आशुतोष शरण की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। रोटरी के विभूति नारायण सिंह भी सभापति के पद को लेकर प्रतिष्ठा बनाए हुए हैं।
कुल 63 प्रत्याशियों के भाग्य बक्से में कैद है, जिसका परिणाम आगामी 15 जून को घोषित किया जाएगा। लेकिन, मतदान के बाद प्रत्याशियों के चुनावी दांव-पेंच और चुनाव पूर्व बड़ी तैयारियों की खबर आ रही।
एक तरफ संजीव दुबे और डॉ आशुतोष शरण जहां बिना तैयारी के चुनाव मैदान में कूद पड़े थे। वहीं टीम विभूति नारायण सिंह की चुनाव पूर्व तैयारियां से इस ग्रुप को जबरदस्त फायदा होते दिखा रहा है, वहीं डॉ आशुतोष शरण को उनके अपने अच्छे व्यक्तित्व के कारण उनके टीम को भी जबरदस्त मत मिलने की बात कही जा रही है। चिकित्सक का मत प्रत्येक ग्रुप में होने की बात बताई जा रही है।
संजीव दुबे को पप्पू दुबे के प्रयासों एवं भूमिहार मतों का खूब लाभ मिला है, परन्तु उनके टीम के कुछ बदनाम चेहरों ने संजीव दुबे को नुकसान भी खूब पहुंचाया है। डॉ चंद्र सुभाष और डॉ हेना चंद्रा के बेहतर प्रयास ने उनके पैनल को काफी लाभ पहुंचाने का कार्य किया है |
वैसे ग्रामीण क्षेत्रों के वोटर्स ही प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। सुचना के अनुसार, मधुबन, हरसिद्धि, तुरकौलिया, छोड़ादानों आदि इलाकों से बड़े पैमाने पर वोटर्स को प्रत्याशियों के द्वारा लाया गया एवं वोट दिलवाया गया। खास बात यह थी कि बाहर से बुलवाए गए वोटर्स ने सम्बंधित पैनल्स के पुरे के पुरे सदस्य को मत दिया। यही कारण है की परिणाम अप्रत्याशित होने के कयास लगाये जा रहे हैं।
इधर, सभी प्रत्याशी जोड़ घटाव करते हुये अपने जीत को लेकर संशय में हैं। यूं तो परिणाम 15 को आने है और परिणाम कुछ भी हो सकता है। फिर भी रवि कुमार, कौशल कुमार सिंह, नासिर खान, मुन्ना कुमार, केशव कृष्णा, राजन श्रीवास्तव, रामभजन जैसे युवा अगर चुनाव हारते है तो ये शहर हारेगा।
क्योंकि, इनके सामाजिक एवं ब्लड डोनेशन से जुड़े कार्यों को शहर देख चुका है। साथ ही यह भी बात सही है कि जहां कोई भी प्रबंधन बुजुर्ग कर सकते वहीं ऐसे युवा इस रेडक्रॉस को अपने मेहनत के बल पर चार चंद लगा सकते थे। इधर, सिटीजन फोरम के अध्यक्ष वीरेंद्र जालान ने कहा है कि अगर रेडक्रॉस समाज सेवा की संस्था है, तो फिर इस चुनाव में पदों को कब्जा करने की इतनी होड़ क्यों मची हुई है। मामला समाज सेवा है या कुछ और ?
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