बीएनएम इम्पैक्ट: खबर से हिला बिहार सरकार, राज्य भर के स्वास्थ्य समितियों के अधिकारी हुए स्थानांतरित

बीएनएम इम्पैक्ट: खबर से हिला बिहार सरकार, राज्य भर के स्वास्थ्य समितियों के अधिकारी हुए स्थानांतरित

खबर से हिला बिहार सरकार, राज्य भर के स्वास्थ्य समितियों के अधिकारी हुए स्थानांतरित

Reported By SAGAR SURAJ
Updated By RAKESH KUMAR
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स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीएनएम की खबर पर बड़ी कार्रवाई करते हुए बिहार भर के सभी स्वास्थ्य समितियों के अधिकारियों को स्थानांतरित कर दिया है साथ ही सभी अधिकारियों को अविलम्ब नवपदस्थापित पदों पर अधिकतम एक सप्ताह के भीतर प्रभार ग्रहण करने का निर्देश दिया गया  है | सभी अधिकारी 10-15 वर्षों से अपने-अपने गृह जिले में पड़े थे

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मोतिहारी: बीएनएम की खबर का एक बड़ा असर हुआ है | स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीएनएम की खबर पर बड़ी कार्रवाई करते हुए बिहार भर के सभी स्वास्थ्य समितियों के अधिकारियों को स्थानांतरित कर दिया है साथ ही सभी अधिकारियों को अविलम्ब नवपदस्थापित पदों पर अधिकतम एक सप्ताह के भीतर प्रभार ग्रहण करने का भी निर्देश दिया है | सभी अधिकारी 10-15 वर्षों से अपने-अपने गृह जिले में पड़े थे |

स्थानांतरण का गाज पूर्वी चम्पारण के जिला स्वास्थ्य समिति पर भी पड़ा है, जहाँ के जिला कार्यक्रम प्रबंधक अमित अचल को प. चम्पारण और जिला मूल्याङ्कन पदाधिकारी भानु शर्मा को पटना जिला स्वास्थ्य समिति के लिए स्थानांतरित किया गया है |

राज्य स्वास्थ्य समिति ने अपने पत्रांक 5526/22 में माध्यम से राज्य के 24 स्वास्थ्य समितियों के सभी प्रबंधकों को स्थानांतरित करते हुए सम्बंधित जिला कार्यक्रम प्रबंधक, जिला मूल्याङ्कन एवं अनुश्रवन पदाधिकारी को अपने अपने नए पदों एवं जिले में अविलम्ब योगदान देने का निर्देश दिया है | साथ ही सभी अधिकारियों को नए सिरे से एकरारनामा संपन्न करने का निर्देश दिया है | निर्देश में यह भी बताया गया है कि सम्बंधित जिला कार्यक्रम प्रबंधकों, जिला मूल्याङ्कन एवं अनुश्रवन पदाधिकारियों और जिला लेखा प्रबंधकों को वही मानदेय आदि प्राप्त होगा जो उन्हें पूर्व में प्राप्त हो रहे थे |

क्या है मामला ???

गत 8 दिसम्बर को बॉर्डर न्यूज़ मिरर के प्रिंट एडिशन में कामचोर और भ्रष्ट चिकित्सक या कोई और शीर्षक  के माध्यम से स्वास्थ्य समिति को स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार की जननी बताया गया था साथ ही स्थानीय लोगों का इकरार नामे के आधार पर पदस्थापित जिला कार्यक्रम प्रबंधक, जिला मूल्याङ्कन एवं अनुश्रवन पदाधिकारी के द्वारा खेले जा रहे भ्रष्टाचार के खेल और इसके परिणति के रूप में चिकित्सकों की स्थिति का चित्रण किया गया था |

खबर में सवाल उठाया गया था कि स्वास्थ्य समितियों के इन अधिकारियों को अविलम्ब स्थानांतरण नहीं किया गया तो स्थिति और बुरी हो सकती है | बताया गया था कि स्वास्थ्य  विभाग में भ्रष्टाचार की जनक जिला स्वास्थ्य समिति के  डीपीएम, डीएएम और पीएचसी/सीएचसी/सदर पीएचसी/ सदर हॉस्पिटल के स्वास्थ्य प्रबंधक  होते हैं ! चाहें, वह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, सदर अस्पतालों में हो सभी जगह इनकी ही चलती है।

 

कॉन्टैक्ट पर हुई बहाली के कारण अधिकांश केन्द्रों पर ये लोग अपने ही गृहजिले में स्थापित हो जाते हैं । जो लगभग 10 - 15 साल से एक ही जगहों पर अपना सेवा देते रहे हैं या उसी गृहजिला के रहने के कारण , आरोप है कि वे लोग अपना दबंगई भी समय - समय पर दिखाते रहते है । 

 

डीपीएम, डैम, मैनेजर वैगेरह का काम है, हॉस्पिटल के सभी व्यवस्था पर ध्यान देना, लेकिन बिना घूसखोरी का कोई फाइल आगे बढ़ ही नहीं सकता है। इन सबका साइड इनकम लाखों में रहता है। स्वाथ्य मंत्री , मुख्य मंत्री, जिलाधिकारी को यदि सही मायने में हेल्थ डिपार्टमेंट को सुधार करना है तो, इन मेडिकल माफिया डीपीएम, डैम, हेल्थ मैनेजर, सिविल सर्जन के बड़ा बाबू के घर पर विजिलेंस द्वारा छापामारी करवाया जा सकता है। फिर अकूत संपत्ति का राज खुद ही परत दर परत खुलते चले जायेंगे । भ्रष्टाचार में ये लोग पीएचसी और सिविल सर्जन के बीच का महत्वपूर्ण कड़ी का भी काम करते है

दवाई का अभाव होना, हॉस्पिटल संबंधित सारा व्यवस्था करना इन्ही सबके हाथ में होता है, लेकिन चिकित्सकों को तो ठीक से एक कुर्सी  तक नसीब नहीं होता हैं । लेकिन इन सबके चैंबर में एसी लगा मिलेगा, सारा आधुनिक सुविधा से सुसज्जित इनका चैंबर आपको मिलेगा।

 हॉस्पिटल में जनरेटर चले ना चले लेकिन जबरदस्ती मेडिकल ऑफिसर द्वारा उनके रजिस्टर पर 10 से 20 घंटे जनरेटर चला इसपर साइन करवाया जाता है। यदि डॉक्टर इनका विरोध किए तो ऊपर से नीचे तक का आदमी उक्त चिकित्सक को बर्बाद करने पर टूल जाते है । और उनकी नौकरी तक को किसी न किसी विधि खतरे में डाल देते है । अंततः चिकित्सक भी अपनी हार स्वीकार्य कर इनके चंगुल में फस जाते है और नही चाहते हुए भी इन माफियाओं का गुलाम हो जाते है।

यही नहीं चिकित्सकों के अलवा अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के शोषण की कहानी भी बताई गयी थी, जिसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति ने यह बड़ा निर्णय लिया है |

 

 

 

 

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