बीएनएम इम्पैक्ट: ‘खेलो इंडिया खेलो’ योजना की राशी की कथित बंदरबांट मामले में जिलाधिकारी सख्त, जाँच का आदेश (भाग 3)
सागर सूरज
मोतिहारी: खेलो इंडिया खेलो योजना में हुए कथित घोटाले की खबर के बाद जिला प्रशासन के कान खड़े हो गए है | मामले में जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक के आदेश के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने तीन सदस्सीय कमिटी गठित कर जाँच का आदेश दिया है |
डीईओ संजय कुमार ने कार्यक्रम पदाधिकारी नित्यम कुमार गौरव, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सरोज कुमार और कल्पना कुमारी की एक टीम से मामले की जाँच की बात कही है |
उल्लेखनीय है कि “बॉर्डर न्यूज़ मिरर” ने प्रधानाध्यापकों के आरोपों के आधार पर खेलो इंडिया किट में घोटाले की खबर प्रकाशित की थी | अपने- अपने मूल पदस्थापन स्थान वाले स्कूलों को छोड़ कर ये कथित शिक्षा माफिया बीआरसी कार्यालय, डीपीओ समग्र शिक्षा कार्यालयों में चक्कर लगते नजर आते है | आरोप है कि कार्यालय कर्मी सुबोध कुमार, मो. शकील, बीआरसी मोतिहारी के चंद्रशेखर जैसे तक़रीबन आधा दर्जन शिक्षकों एवं कर्मियों के सहयोग से जिले भर के तक़रीबन 3600 स्कूलों को घटिया खेल और मेडिकल सामग्री उपलब्ध करवाने का कार्य किया जिसमे तक़रीबन करोड़ों रूपये के वारा न्यारा की बात कही जा रही है |
अपने अधिकारों से वंचित प्रधानाध्यापकों ने कहा कि वरीय अधिकारियों की टीम अगर अकेले में पूछ-ताछ करें तो मामले की सच्चाई उभर कर सामने आ जाएगी | यह भी कहा कि कुछ लोगों के यहाँ अगर छापेमारी की जाए तो उनके घरों से आज भी खेल और मेडिकल किट बरामद हो सकता है एवं उनके द्वारा अवैध रूप से अर्जित की गयी सम्पति का भी उद्भेदन हो सकता है |
उल्लेखनीय है कि जिले के सरकारी स्कूलों में तक़रीबन 2.5 करोड़ की राशी आवंटित की गयी थी, ताकि छात्रों के बीच खेल समग्री उपलब्ध करवाई जा सके, परन्तु घटिया किस्म की खेल सामग्रियों को स्कूलों को उपलब्ध करवा कर तक़रीबन 1 करोड़ से ऊपर की राशी की बंदरबांट कर ली गयी |
बताया गया कि इस गंदे खेल में जिले के सभी 27 प्रखंडों के प्रखंड शिक्षा पदाधकारी सहित समग्र शिक्षा अभियान के चन्द अधिकारी एवं कर्मचारी संलग्न बताये जाते है | विभाग के द्वारा स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के आईडी और पासवर्ड ले कर जबरन खुद से ‘पीएफएमएस’ जारी किया गया और प्रधानाध्यापकों को 25% कमीशन के आश्वासनों के बाद बिल पर हस्ताक्षर करवा कर इन्ही कर्मचारियों के घरों से खेल किट प्रधानाध्यापकों को ले जाने को मजबूर किया गया |
कुछ बिल जेजे इंटर प्राइजेस सहित कई फर्जी फॉर्म जो कर्मचारियों के सगे सम्बन्धियों के नाम के प्रतिष्ठानों ने नाम बिल बनांये गए और घटिया सामग्री को उपलब्ध करवा गया | जहाँ प्रधानाध्यापक और उसकी कमिटी सामग्रियों की खरीदारी गुणवता के आधार पर करती वही ये लोग खुद से जुड़ी हुई दूकान के नाम बिल बना कर बहुत ही कम की राशी की घटिया खेल सामग्री उपलब्ध करवा दी और बाकि रूपये का गबन कर लिया |
विभाग के अधिकारयों के मिलीभगत के कारण ज्यादातर प्रधानाध्यापक विभाग के 25% वाला ऑफर को स्वीकार करने में ही अपनी भलाई समझा और उक्त ‘घटिया खेलो किट’ को स्वीकार कर लेने में ही भलाई समझा |
सबसे बड़ी बात यह कि खेल किट भी इन्ही कर्मियों के घरों से वितरित की गयी | सुचना के अनुसार पुरे मामले में बलि का बकरा स्कूलों के प्रधानाध्यापक बने और बाद में उपयोगिता के रूप में उनसे वसूली भी की जाएगी |
सनद रहे कि मोतिहारी बीआरसी में चंद्रशेखर नमक एक शिक्षक एवं अधिकारी द्वारा इस गंदे खेल को खेला गया | बताया गया कि इस योजना अंतर्गत प्राथमिक विद्यालयों में 5000, मध्य विद्यालयों में 10,000 और उच्च विद्यालयों में 25,000 की राशी आवंटित की गयी थी और विद्यालयों की एक समिति उसकी खरीदारी करती, लेकिन इस योजना को आरोपों के अनुसार अपहरण कर लिया गया और शिक्षा विभाग के पैरवी पुत्रों के हवाले कर दिया गया |
“बॉर्डर न्यूज़ मिरर” ने तक़रीबन 10 प्रधानाधयापकों से बात की तो सभी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि अगर जिला पदाधिकारी उच्च स्तरीय जाँच करवाए और टीम स्कूलों में जाकर शिक्षा विभाग के लोगों से हट कर ब्यान ले तो सारी बाते खुल कर सामने आ जाएगी |
5000 के बदले 2000 के कीमत की भी सामग्री नहीं उपलब्ध करवायी गयी |
Comments