डॉ. पद्मावती गॉड मदर ऑफ कॉर्डियोलॉजी के रूप में जानी जाएंगी- डॉ. हर्षवर्धन

डॉ. पद्मावती गॉड मदर ऑफ कॉर्डियोलॉजी के रूप में जानी जाएंगी- डॉ. हर्षवर्धन

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नई दिल्ली। केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बुधवार को देश की पहली महिला हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवारामाकृष्ण अय्यर पद्मावती श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि डॉ. पद्मावती को गॉड मदर ऑफ कॉर्डियोलॉजी के विशेषण से जाना जाएगा। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि मेरे लिए यह […]
नई दिल्ली। केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बुधवार को देश की पहली महिला हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवारामाकृष्ण अय्यर पद्मावती श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि डॉ. पद्मावती को गॉड मदर ऑफ कॉर्डियोलॉजी के विशेषण से जाना जाएगा।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि मेरे लिए यह श्रद्धांजलि सभा नहीं, बल्कि वर्चुअल प्रेरणा सभा है। डॉ. पद्मावती ने कॉर्डियोलॉजिस्ट के रूप में हजारों डॉक्टरों को प्रेरणा दिया है। वे स्वयं में एक संस्था थीं। उनके नाम में देवों के देव महादेव शिवा, भगवान राम और भगवान श्रीकृष्ण का समावेश है, इसलिए उनमें जनहित, मर्यादा और कर्म के सभी गुण शामिल थे। उनके नहीं रहने से मुझे और सभी डॉक्टरों को आघात लगा है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि डॉ. पद्मावती ने जिस प्रतिबद्धता और सेवा भावना के साथ रोगियों का उपचार किया और उनकी रोग की जटिलताओं को दूर किया, वे अपने क्षेत्र में रोल मॉडल बन गईं। इस क्षेत्र की सभी महान उपलब्धियों का श्रेय डॉ. पद्मावती को जाता है। उन्होंने मानवता की निरंतर सेवा की और रोगियों के कष्ट दूर करने के प्रयास किए। मैं स्वास्थ्य मंत्री के रूप में अपनी और डॉक्टर समुदाय, केन्द्र के अन्य मंत्रियों तथा माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की ओर से दिवंगत डॉ. पद्मावती को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। 
103 वर्ष की आयु में भी देती रहीं चिकित्सीय सलाह:
रंगून मेडिकल कॉलेज में पद्मावती पहली महिला विद्यार्थी थीं। 90 वर्ष की आयु में वे यूरोपीय सोसाइटी ऑफ कॉर्डियोलॉजी की फैलो बनीं। पद्म विभूषण डॉ. पद्मावती का दिल्ली में कॉर्डियोलॉजी क्षेत्र में अतुलनीय योगदान रहा। उन्होंने दिल्ली में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में लेक्चरर के रूप में कार्य शुरू किया और मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में विभिन्न पदों पर काम किया।
डॉ. पद्मावती ने जी.बी. पंत अस्पताल में पहला कॉर्डियोलॉजी विभाग स्थापित किया। उन्होंने 1962 में ऑल इंडिया हार्ट फाउंडेशन की स्थापना की। अपनी सेवा निवृत्ति के पश्चात 1981 में डॉ. पद्मावती ने नेशनल हार्ट इंस्टिट्यूट की स्थापना की और वहां वे 103 वर्ष की आयु तक रोगियों की सेवा करती रहीं।

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