कृषि विभाग के ‘आत्मा’ में हो रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम में करोड़ों के वारा-न्यारा का आरोप

कृषि विभाग के ‘आत्मा’ में हो रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम में करोड़ों के वारा-न्यारा का आरोप

Reported By SAGAR SURAJ
Updated By RAKESH KUMAR
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नियमानुसार प्रत्येक आवेदकों से 12,500 रकम प्रशिक्षण शुल्क के रूप में ली जाती है, जिसके बदले प्रशिक्षण के दरम्यान आवेदकों को आवासीय व्यवस्था के साथ साथ खाना, नाश्ता, चाय, किताब और कोपी आदि देने का प्रावधान है | लेकिन आरोप है कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में महज़ कागजों में खाना पूर्ति ही होती रही है | किसी भी प्रशिक्षण कार्यक्रम को अगर अचानक से दोपहर के बाद देखी जाए तो पांच से दस आवेदक भी मिल जाए तो गनीमत है |

 

सागर सूरज

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मोतिहारी: जिले मे किसानों के लिए आने वाली यूरिया खाद की तस्करी के आरोपों और उसकी किल्लत से उपजे जिले भर में खाद दुकानों पर हो रही बवाल की खबरें और दुकानदारों द्वारा किसानों से खाद के बदले मनमाने दर की वसूली के आरोपों के बीच जिला कृषि पदाधिकारी पुनः एक अन्य मामले को लेकर सवालों में घिर गये है |

सम्बंधित आवेदनों में लगे आरोपों पर अगर नजर डाली जाए तो आत्मा द्वारा सालों भर खाद अनुज्ञप्ति लेने वाले आवेदकों के लिए किये जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम में लाखों रुपये के वारा-न्यारा करने के आरोप लग रहे है |

बताया गया कि पिपरा कोठी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में सालो भर एवं जिला कृषि कार्यालय में वर्ष में दो बार 30 आवेदकों एक बैच तैयार किया जाता है, जिसका प्रशिक्षण कार्यक्रम 15 दिनों का होता है | फिर उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद हुये परीक्षा में पास करने वालों को ही खाद बेचने की अनुज्ञप्ति जारी की जाती है |

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नियमानुसार प्रत्येक आवेदकों से 12,500 रकम प्रशिक्षण शुल्क के रूप में ली जाती है, जिसके बदले प्रशिक्षण के दरम्यान आवेदकों को आवासीय व्यवस्था के साथ साथ खाना, नाश्ता, चाय, किताब और कोपी आदि देने का प्रावधान है | लेकिन आरोप है कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में महज़ कागजों में खाना पूर्ति ही होती रही है | किसी भी प्रशिक्षण कार्यक्रम को अगर अचानक से दोपहर के बाद देखी जाए तो पांच से दस आवेदक भी मिल जाए तो गनीमत है |

इधर तो इस आवासीय प्रशिक्षण को गैर आवासीय प्रशिक्षण का रूप दे दिया गया है और बहाना है ठंड के मौसम का | जबकि ऐसा कोई मार्गदर्शन विभाग के द्वारा नहीं प्राप्त हुआ है |

यही नहीं आरोप है कि सभी आवेदकों से पास करवाने के नाम पर भी 5000 से 6000 की रकम की वसूली होती है | अब एक बैच में 30 आवेदक है तो 12,500 के रूप में लगभग 3,75000 तो जमा होते है | इस तरह पुरे वर्ष करोड़ों रूपये प्रशिक्षण के बदले जमा होते है परन्तु प्रशिक्षण की कागजी खाना पूर्ति ही होती है और बाकि रूपये बाबुओं के जेब में पहुँच जाते है |

आरोप है कि यह सारा खेल नोडल ऑफिसर जिला कृषि पदाधिकारी चंद्रदेव प्रसाद और आत्मा के उप परियोजना पदाधिकारी धीर प्रकाश धीर के दवारा खेला जाता है | धीर प्रसाद धीर गत 2013 से जिले में इसी पद पर पदस्थापित है और सरकार के किसानों के लिए आने वाले करोड़ों रुपयों के वारा- न्यारा में जिला कृषि पदाधिकारी के साथ भागीदार है |

मामले की जानकारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित कई अधिकारियों को दी गयी | मामले में विभाग का कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है |

 

  

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